Moving Average Convergence Divergence​- मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस

क्या है मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी)?
Moving Average Convergence Divergence: मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी) एक ट्रेंड फॉलोइंग मोमेंटम इंडीकेटर है जो किसी सिक्योरिटी की कीमत के दो मूविंग औसतो के बीच के संबंध को प्रदर्शित करता है। एमएसीडी की गणना 12 पीरियड ईएमए से 26 पीरियड एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) घटाने के द्वारा की जाती है। उस गणना का परिणाम एमएसीडी लाइन है। एमएसीडी के नौ दिनों के ईएम को ‘सिग्नल लाइन' कहा जाता है जिसे इसके बाद एमएसीडी लाइन के शीर्ष पर प्लॉट किया जाता है जो खरीद और बिक्री संकेतों के लिए एक ट्रिगर के रूप में काम कर सकता है। जब एमएसीडी सिग्नल लाइन के ऊपर क्रॉस कर जाता है तो ट्रेडर सिक्योरिटी खरीद सकते हैं। वहीं जब एमएसीडी सिग्नल लाइन के नीचे क्रॉस कर जाता है तो सिक्योरिटी को बेच या शॉर्ट कर सकते हैं। मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी) इंडीकेटर की व्याख्या कई प्रकार से की जा सकती है लेकिन अधिक सामान्य पद्धतियां क्रॉसओवर, डायवर्जेंस और रैपिड राइज/फाॅल हैं।

मुख्य बातें
· एमएसीडी की गणना 12 पीरियड ईएमए से 26 पीरियड एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) घटाने के द्वारा की जाती है।
· एमएसीडी टेक्निकल सिग्नल ट्रिगर करता है जब यह सिग्नल लाइन से ऊपर (खरीदने के लिए) या नीचे (बेचने के लिए) गुजरता है।
· क्रॉसओवर की गति को भी मार्केट के ओवरसोल्ड या ओवरबॉट के एक सिग्नल के रूप में लिया जाता है।
· एमएसीडी निवेशकों को यह समझाने में मदद करता है कि क्या कीमत में तेजी और मंदी यानी बुलिश या बियरिश मूवमेंट मजबूत हो रहा है या कमजोर हो रहा है।

ट्रेडर किस प्रकार मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी) का उपयोग करते हैं?
ट्रेडर एमएसीडी का उपयोग किसी स्टॉक के प्राइस के ट्रेंड की दिशा या उग्रता में बदलाव की पहचान ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना करने के लिए करते हैं। एमएसीडी पहली नजर में जटिल प्रतीत हो सकता है क्योंकि यह एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) जैसी अतिरिक्त सांख्यकीय अवधारणाओं पर भरोसा करता है। लेकिन मूल रूप से एमएसीडी ट्रेडरों को इसका पता लगाने में मदद करता है कि कब किसी स्टॉक की कीमत में हाल की गति, इसके अंडरलाइंग ट्रेंड में परिवर्तन का संकेत दे सकती है।

कैंडल चार्ट क्या होता है कैंडल चार्ट को कैसे समझें

दोस्तों आज हम बात करेंगे शेयर बाजार में कैंडलेस्टिक चार्ट क्या होता है। Candlestick chart शेयर बाजार में स्टॉक्स में हो रही खरीद बिक्री को लाल और हरे कैंडल में दर्शाते हैं। यहां पर हर एक हरे कैंडल का मतलब खरीददारी और लाल कैंडल का मतलब बिकवाली होता है। शेयर बाजार में किसी भी कंपनी का तकनीकी विश्लेषण करने के लिए कैंडल चार्ट बहुत महत्वपूर्ण है। और यह कीमतों के परिवर्तन का विश्लेषण करने के लिए बहुत मायने रखता है।

कैंडलेस्टिक चार्ट को कैसे समझें
कैंडलेस्टिक चार्ट

कैंडलेस्टिक चार्ट को कैसे समझें

जैसा कि आप अगर शेयर बाजार में व्यापार करते हैं या करने में रुचि रखते हैं तो कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न को सीखना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे आप एक समुचित ढंग से टेक्निकल एनालिसिस कर सकेंगे। बाजार में कैंडलेस्टिक चार्ट अपने पिछले Trade की गतिविधियों को दर्शाता है जहां से आपको टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट aur रेजिस्टेंस, ट्रेंड लाइन अन्य पैटर्न देखने को मिलते हैं इसके के आधार पर हम अगले ट्रेडिंग सेशन के लिए अपने strategie के अनुसार रणनीतियां बनाते हैं। शेयर बाजार में अधिकतर ट्रेडर्स candlestick pattern के आधार पर ही बाजार में अपना सौदा या Trade करते हैं।

Candlestick chart में कुछ फेमस कैंडल के नाम
Candlestick chart list

Candlestick chart में कुछ फेमस कैंडल के नाम

  • SHOOTING STAR
  • HAMMER
  • DOJI
  • PAPER UMBRELLA
  • SPINNING TOPS
  • MARUBOZU
  • ENGULFING CANDLE
  • MORNING STAR
  • HARAMI

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस कैसे करें।
कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस कैसे करें।

अगर आप शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडर है या फिर डे ट्रेडर में रुचि रखते हैं तो आपको कैंडलेस्टिक चार्ट पढ़ना बहुत जरूरी है। यह किसी भी शेयर का तकनीकी विश्लेषण करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। इसे सीखने के लिए आप बाजार में मोमेंट, ट्रेंडलाइन ब्रेकआउट, ब्रेकडाउन, सपोर्ट और रजिस्टेंस इन चीजों को देखकर आप टेक्निकल एनालिसिस कर सकते है

शेयर की प्रत्येक कैंडल बाजार के मूल्य की गतिशीलता को प्रदर्शित करती है

HIGH, LOW, OPEN, और CLOSE

अगर आप कैंडल स्टिक चार्ट का बखूबी विश्लेषण करना जानते हैं तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग में अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं।

इंट्रा डे ट्रेडर के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट उपयोग करने के 2 कारण होते हैं

1 Trade नियंत्रण में मदद

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय अपने जोखिम को जानना बहुत जरूरी है। कैंडलेस्टिक चार्ट की मदद से आप आपकी चल रही पोजीशन को रखने या बंद करने और जोखिम के साथ लाभ और नुकसान को प्रतिबंधित कर सकते हैं। इससे आपको स्टॉप लॉस और टारगेट को जानना आसान होता है।

2 Entry और Exit जानने में मदद

Candlestick pattern का विश्लेषण करके आप या जान सकते हैं कि मोमेंटम, ब्रेकआउट या ट्रेंड के आधार पर बाजार में एंट्री करें या बाजार में टिके रहे या बाजार से बाहर निकले या निकलने का सही समय निर्धारित करता है। इन सभी तरीकों को सीख कर आपको शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग करने में मदद मिलेगी।

कैंडल चार्ट क्या होता है कैंडल चार्ट को कैसे समझें

दोस्तों आज हम बात करेंगे शेयर बाजार में कैंडलेस्टिक चार्ट क्या होता है। Candlestick chart शेयर बाजार में स्टॉक्स में हो रही खरीद बिक्री को लाल और हरे कैंडल में दर्शाते हैं। यहां पर हर एक हरे कैंडल का मतलब खरीददारी और लाल कैंडल का मतलब बिकवाली होता है। शेयर बाजार में किसी भी कंपनी का तकनीकी विश्लेषण करने के लिए कैंडल चार्ट बहुत महत्वपूर्ण है। और यह कीमतों के परिवर्तन का विश्लेषण करने के लिए बहुत मायने रखता है।

कैंडलेस्टिक चार्ट को कैसे समझें
कैंडलेस्टिक चार्ट

कैंडलेस्टिक चार्ट को कैसे समझें

जैसा कि आप अगर शेयर बाजार में व्यापार करते हैं या करने में रुचि रखते हैं तो कैंडलेस्टिक चार्ट पेटर्न को सीखना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे आप एक समुचित ढंग से ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना टेक्निकल एनालिसिस कर सकेंगे। बाजार में कैंडलेस्टिक चार्ट अपने पिछले Trade की गतिविधियों को दर्शाता है जहां से आपको टेक्निकल एनालिसिस में सपोर्ट aur रेजिस्टेंस, ट्रेंड लाइन अन्य पैटर्न देखने को मिलते हैं इसके के आधार पर हम अगले ट्रेडिंग सेशन के लिए अपने strategie के अनुसार रणनीतियां बनाते हैं। शेयर बाजार में अधिकतर ट्रेडर्स candlestick pattern के आधार पर ही बाजार में अपना सौदा या Trade करते हैं।

Candlestick chart में कुछ फेमस कैंडल के नाम
Candlestick chart list

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इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस कैसे करें।
कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट का एनालिसिस कैसे करें।

अगर आप शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडर है या फिर डे ट्रेडर में रुचि रखते हैं तो आपको कैंडलेस्टिक चार्ट पढ़ना बहुत जरूरी है। यह किसी भी शेयर का तकनीकी विश्लेषण करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। इसे सीखने के लिए आप बाजार में मोमेंट, ट्रेंडलाइन ब्रेकआउट, ब्रेकडाउन, सपोर्ट और रजिस्टेंस इन चीजों को देखकर आप टेक्निकल एनालिसिस कर सकते है

शेयर की प्रत्येक कैंडल बाजार के मूल्य की गतिशीलता को प्रदर्शित करती है

HIGH, LOW, OPEN, और CLOSE

अगर आप कैंडल स्टिक चार्ट का बखूबी विश्लेषण करना जानते हैं तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग में अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं।

इंट्रा डे ट्रेडर के लिए कैंडलेस्टिक चार्ट उपयोग करने के 2 कारण होते हैं

1 Trade नियंत्रण में मदद

इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय अपने जोखिम को जानना बहुत जरूरी है। कैंडलेस्टिक चार्ट की मदद से आप आपकी चल रही पोजीशन को रखने या बंद करने और जोखिम के साथ लाभ और नुकसान को प्रतिबंधित कर सकते हैं। इससे आपको स्टॉप लॉस और टारगेट को जानना आसान होता है।

2 Entry और Exit जानने में मदद

Candlestick pattern का विश्लेषण करके आप या जान सकते हैं कि मोमेंटम, ब्रेकआउट या ट्रेंड के आधार पर बाजार में एंट्री करें या बाजार में टिके रहे या बाजार से बाहर निकले या निकलने का सही समय निर्धारित करता है। इन सभी तरीकों को सीख कर आपको शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग करने में मदद मिलेगी।

ट्रेन कोच में पीली और सफेद रंग की धारियां क्यों लगाई जाती हैं?

भारतीय रेल नेटवर्क को दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में गिना जाता है. 16 अप्रैल 1853 को भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाएं शुरू की थी और पहली ट्रेन मुंबई से थाने तक 33 किलोमीटर की दूरी तय की थी. क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के कोच पर अलग-अलग रंग की धारियां क्यों लगाई जाती हैं और ट्रेनों के कोचों का रंग भी अलग-अलग क्यों होता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

What does yellow and white line indicates on the train coaches?

रेल; यातायात के आधुनिक साधनों में से एक है. 1951 में भारतीय रेलवे को राष्ट्रीयकृत किया गया था और यह आज एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क और एक ही प्रबंधन के तहत संचालित दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है. भाप इंजन से डीजल के इंजन और फिर बिजली के इंजनों तक का इसका सफर शानदार रहा है. इसलिए तो भारत में रेल यात्रा को सबसे शानदार और अविस्मरणीय माना जाता है. इसके जरिये आराम से और आसान तरीके से कही भी पहुंचा जा सकता है.

हम आपको बता दें कि तकरीबन 164 साल पहले, 16 अप्रैल 1853 को भारतीय रेलवे ने अपनी सेवाएं शुरू की थी और पहली ट्रेन मुंबई से थाने तक 33 किलोमीटर की दूरी तय की थी. उस दिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया था.

अकसर ट्रेन में सफर करते वक्त आपने रंगीन कोचों के साथ किसी-किसी ट्रेनों के कोचों पर बनी अलग-अलग रंग की धारियों को भी देखा होगा जैसे कि पीली या सफेद इत्यादि. क्या आपने कभी सोचा है कि ये रंगीन कोच पर बनी धारियां क्या दर्शाती हैं, क्यों इनको इस प्रकार से कुछ ट्रेन के कोचों पर बनाया जाता है, इनका क्या अर्थ होता है साथ ही इस लेख के माध्यम से अध्ययन करेंगे कि ट्रेन के कोच का रंग भी अलग-अलग क्यों होता है.

ट्रेन के कोच पर अलग-अलग रंग की धारियां क्यों लगाई जाती हैं?

हमारे भारतीय रेलवे में बहुत सारी चीजों को समझाने के लिए एक विशेष प्रकार के सिंबल का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि ट्रैक के किनारे बने सिंबल, प्लेटफार्म पे सिंबल. इन सभी सिंबल की जरुरत इसलिए पड़ी की हर एक व्यक्ति को उस चीज़ के बारे में बताने की जरुरत ना हो और वह इस सिंबल को देख कर आसानी से समझ जाए कि ये सिंबल क्या दर्शा रहे हैं. इसी बात को ध्यान में रख कर ट्रेन के कोच में एक विशेष प्रकार के सिंबल को इस्तेमाल किया जाता है.

ब्लू (blue) ICF कोच पर कोच के आखरी में खिड़की के ऊपर पीली या सफेद कलर की लाइनों या धारियों को लगाया जाता है जो कि वास्तव में इस कोच को अन्य कोच से अलग करने के लिए उपयोग किए जाते हैं. ये लाइनें द्वीतीय क्ष्रेणी के unreserved कोच को इंगित करते हैं. जब स्टेशन पर ट्रेन आती है तो बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनकों इस बात की उलझन होती है कि जनरल डिब्बा कौनसा है, वैसे लोग इस पीली रंग की धारी को देख कर आसानी से समझ सकें की यही जनरल कोच है. इसी प्रकार नीले/लाल पर ब्रॉड पीली रंग की धारियां विकलांग और बीमार लोगों के कोच के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. इसी प्रकार ग्रे (grey) पर हरी धारियों से संकेत मिलता है कि कोच केवल महिलाओं के लिए है. इन रंग पैटर्न को मुंबई, पश्चिमी रेलवे में केवल नए AutoDoor Closing EMU के लिए शामिल किया गया है.

Women coach green lines indicates what

ग्रे (grey) रंग पे लाल रंग की धारी फर्स्ट क्लास के कोच को इंगित करती हैं. तो हमने देखा कि किस प्रकार से अलग-अलग रंगों की धारियों को ट्रेन के कोच पर इंगित करने का क्या अर्थ होता है.

अब आइये ट्रेन में अलग-अलग कोच के रंगों के बारे में अध्ययन करते हैं?

भारतीय रेलवे में अधिकतर तीन प्रकार के कोच होते हैं:

हाइब्रिड एलएचबी (Hybrid LHB)

कोच के बीच का अंतर उनकी संरचना, बोगी, इत्यादि के कारण होता है.

Various colours coaches of the train means what

- सबसे पहले, व्यापक रूप से पाया जाने वाला कोच सामान्य ICF कोच (general ICF coach) नीले रंग का होता है जो सभी ICF यात्री, मेल एक्सप्रेस या सुपरफास्ट ट्रेनों के लिए उपयोग ट्रेंड लाइन और ट्रेंड प्रकार को समझना किया जाता है.

- ICF वातानुकूलित ट्रेन में लाल रंग के कोच का उपयोग होता है.

- गरीब रथ ट्रेन में हरे रंग के कोच का उपयोग होता है.

- मीटर गेज ट्रेन में भूरे रंग के कोच का उपयोग होता है.

- बिलीमोरा वाघई यात्री, एक संकीर्ण गेज ट्रेन में हल्के हरे रंग के कोच का उपयोग होता है, हालांकि इसमें ब्राउन रंगीन कोच का भी उपयोग होता है.

- इसके अलावा, कुछ रेलवे जोन ने अपने स्वयं के रंगों को नामित किया है, जैसे कि केंद्रीय रेलवे की कुछ ट्रेनें सफेद-लाल-नीली रंग योजना का पालन करती हैं.

Garibrath and meter gauge coach colour

- LHB कोच में एक डिफ़ॉल्ट लाल रंग होता है जो राजधानी का रंग भी होता है.

- गतिमान एक्सप्रेस एक शताब्दी की तरह दिखती है, लेकिन इसमें एक अतिरिक्त पीली पट्टी होती है, इत्यादि.

हम आपको बता दें कि भारतीय रेलवे ट्रेन कोच के रंगों में बदलाव प्रदान करेगी. अब ICF कोच गहरे नीले रंग के बजाए ग्रे (grey) और हलके नीले रंग शताब्दी के समान होंगे, उन्हें एक नया रूप देने के लिए ऐसा किया जाएगा.

रेलवे बोर्ड ने सभी 55,000 इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) कोचों को पुनर्स्थापित करने के लिए आदेश दिया है. नए रंगों वाले मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के कोचों का पहला सेट इस वर्ष से शुरू होने की उम्मीद है. इसी प्रकार समय के साथ बाकी अन्य कोचों के रंगों को भी बदला जाएगा.

क्या आप जानते हैं कि दशकों तक उपयोग में आने वाले ईंट जैसे लाल रंग के कोचों को बदलने के लिए रेलवे द्वारा 90 के दशक के अंत में गहरे नीले कोच को पेश किया गया था.

तो अब आप जान गए होंगे कि ट्रेन के कोच पर अलग-अलग धारियां क्यों लगाई जाती हैं और ट्रेनों के कोचों का रंग भी अलग-अलग क्यों होता है.

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