Mutual Fund: क्या करें जब स्टार फंड मैनेजर छोड़ जाएं, स्कीम में रहें या निकल जाएं
जब स्टार फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़कर चला जाता है. स्वाभाविक तौर पर निवेशक चिंतित हो जाते हैं कि उनके निवेश का आगे क्या होगा.
म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर्स की भूमिका अहम होती है. निवेशक के तौर पर हम अपने स्टार फंड मैनेजर पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं. हमारा पूरा ध्यान होता है कि कैसे वास्तव में वे निवेशकों के पैसों को मैनेज कर रहे हैं.
जब फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़ दे
सच तो यह है कि ज्यादातर निवेशक स्कीम मैनेज कर रहे फंड मैनेजर को देखकर ही अपने पोर्टफोलियो में फंड्स सेलेक्ट करते हैं. समस्या तब आती है जब स्टार फंड मैनेजर फंड हाउस छोड़कर चला जाता है. स्वाभाविक तौर पर निवेशक चिंतित हो जाते हैं कि उनके निवेश का आगे क्या होगा. वे क्या करें. फंड के साथ बने रहें या निकल जाएं.
क्या असर होता है फंड मैनेजर के जाने का
हर फंड हाउस की अपनी एक प्रक्रिया और व्यवस्था होती है. स्कीम का प्रबंधन करते समय वह इसे लागू करता है. पूरे स्ट्रक्चर में कई विश्लेषकों के साथ-साथ रिसर्च टीम Mutual Fund में निवेश कैसे करे Mutual Fund में निवेश कैसे करे और दूसरे फंड मैनेजर होते हैं. पोर्टफोलियो के संपूर्ण प्रबंधन में इनके इनपुट की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसी व्यवस्था में किसी फंड मैनेजर के जॉब छोड़कर चले जाने के बाद भी निवेशक का जोखिम कम होता है. निवेशक को पूरा विश्वास होता है कि फंड हाउस अपना काम जारी रखेगा.
स्कीम में होते हैं एक से ज्यादा फंड मैनेजर
कई बार फंड हाउस किसी खास स्कीम के लिए एक से ज्यादा फंड मैनेजर रखते हैं. ऐसा एसेट बेस को देखकर किया जाता है. यह नुस्खा निवेशक में यह विश्वास पैदा करने के लिए आजमाया जाता है कि खास स्कीम के प्रबंधन की प्रक्रिया सतत जारी रहने वाली है. यह आश्वस्त किया जाता है कि यहां साझा दायित्व है और यहां लिए जाने वाले फैसलों में एक से ज्यादा लोग शामिल हैं. ऐसे में एक फंड मैनेजर चला भी जाता है तो उसका दायित्व संभालने के लिए दूसरा है और इस तरह यह व्यवस्था भरोसा पैदा करती है कि बिना बाधा के ट्रांजैक्शन जारी रहेंगे.
फंड किस तरह का है, इसका बड़ा रोल
फंड की प्रकृति भी तय करती है कि फंड मैनेजर के उठाए गये कदमों में जोखिम कितना है. अगर लार्ज कैप फंड है तो पूरी तरह यूनीक पोर्टफोलियो तैयार होने के बाद खास फंड मैनेजर की भूमिका भी सीमित रहती है. इसी तरह किसी वैल्यू फंड या कॉन्ट्रा फंड के लिए भी खास रणनीतियां होती हैं जिस बारे में फंड फीचर में ध्यान दिलाया जाता है. यह बिल्कुल संभव है कि किसी मिड कैप या स्मॉल कैप के बजाए ऐसे फंड को मैनेज करने वाले फंड मैनेजर का बहुत बड़ा प्रभाव ना हो क्योंकि यहां स्टॉक चुनने का विकल्प ज्यादा जरूरी होती है.
फंड में रहने या निकलने की जल्दबाजी न करें
आखिर में एक ऐसी प्रक्रिया और व्यवस्था काम करती है जिसमें फंड हाउस के साथ जुड़े दूसरे फंड मैनेजर किसी स्टार फंड मैनेजर के छोड़ जाने के बाद स्कीम पर पड़ने वाले प्रभाव को संभाल लेते हैं. अपनी ओर से निवेशकों को इस बात के लिए जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए कि वह फंड में रहें या ना रहें. यह हमेशा बेहतर होता है कि इंतजार किया जाए और यह देखा जाए कि फंड मैनेजर के चले जाने के बाद फंड निकट भविष्य में कैसा प्रदर्शन कर रहा है.
म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
म्यूचुअल फंड के किसी डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का फायदा यह है कि आपको किसी ब्रोकर/वितरक को कमीशन नहीं देना पड़ता.
जो लोग शेयर बाजार में निवेश के बारे में बहुत नहीं जानते, उनके लिए म्यूचुअल फंड निवेश का अच्छा विकल्प है. निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं.
म्यूचुअल फंड में कैसे करें निवेश?
आप किसी म्यूचुअल फंड की वेबसाइट से सीधे निवेश कर सकते हैं. अगर आप चाहें तो किसी म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सेवा भी ले सकते हैं.
अगर आप सीधे निवेश करते हैं तो आप म्यूचुअल फंड स्कीम के डायरेक्ट प्लान में निवेश कर सकते हैं. अगर आप किसी एडवाइजर की मदद से निवेश कर रहे हैं तो आप किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के रेगुलर प्लान में निवेश करते हैं.
अगर आप सीधे निवेश करना चाहते हैं तो आपको उस म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर जाना पड़ेगा. आप उसके दफ्तर में भी अपने दस्तावेज के Mutual Fund में निवेश कैसे करे साथ जा सकते हैं.
म्यूचुअल फंड के किसी डायरेक्ट प्लान में निवेश करने का फायदा यह है कि आपको कमीशन नहीं देना पड़ता है. इसलिए लंबी अवधि के निवेश में आपका रिटर्न बहुत बढ़ जाता है. इस तरीके से म्यूचुअल फंड में निवेश करने में एक दिक्कत यह है कि आपको खुद रिसर्च करना पड़ता है.
- इक्विटी म्यूचुअल फंड
- डेट म्यूचुअल फंड
- हाइब्रिड म्यूचुअल फंड
- सॉल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड
*इक्विटी म्यूचुअल फंड
ये स्कीम निवेशकों की रकम को सीधे निवेश शेयरों में करती हैं. छोटी अवधि में ये स्कीम जोखिम भरी हो सकती हैं, लेकिन लंबी अवधि में इसे आपको बेहतरीन रिटर्न कमाने में मदद मिलती है. इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि शेयर का प्रदर्शन कैसा है.
जिन निवेशकों का वित्तीय लक्ष्य 10 साल बाद पूरा होना है, वे इस तरह की म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश कर सकते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम के भी 10 अलग प्रकार हैं.
*डेट म्यूचुअल फंड
ये म्यूचुअल फंड स्कीम डेट सिक्योरिटीज में निवेश करती हैं. छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्य पूरे करने के लिए निवेशक इनमें निवेश कर सकते हैं. पांच साल से कम अवधि के लिए इनमें निवेश करना ठीक है. ये म्यूचुअल फंड स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम Mutual Fund में निवेश कैसे करे वाली होती हैं और बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं.
*हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम
ये म्यूचुअल फंड स्कीम इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करती हैं. इन स्कीम को चुनते वक्त भी निवेशकों को अपने जोखिम उठाने की क्षमता का ध्यान रखना जरूरी है. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड स्कीम को छह कैटेगरी में बांटा गया है.
*सॉल्यूशन ओरिएंटेड स्कीम
समाधान को केंद्रित कर बनाई गयी यह म्यूचुअल फंड स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती हैं. इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चे की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इन स्कीम में आपको कम से कम पांच साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.
म्यूचुअल फंड के चार्ज
म्यूचुअल फंड स्कीम में होने वाले सभी खर्च को एक्सपेंस रेश्यो कहते हैं. एक्सपेंस रेश्यो से आपको यह पता लगता है कि किसी म्यूचुअल फंड के प्रबंधन में प्रति यूनिट क्या खर्च आता है. आम तौर पर एक्सपेंस रेश्यो किसी म्यूचुअल फंड स्कीम के साप्ताहिक नेट एसेट के औसत का 1.5-2.5 फीसदी होता है.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.
पारस्परिक निधि (म्युचुअल फंड)
म्युचुअल फंड ऐसी इकाई है जो विभिन्न प्रतिभूतियों में निवेश करने के Mutual Fund में निवेश कैसे करे लिए बड़ी संख्या में निवेशकों के पैसे को एकत्रित करती है। इस धन को तब विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए इकाई धारकों की ओर से एक पेशेवर निधि प्रबंधक द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
टिप्पणी: पारस्परिक निधियों (म्युचुअल फंड) में निवेश करने के लिए, निवेशकों को पारस्परिक निधि (म्यूचुअल फंड) संबंधी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) का अनुपालक होने की आवश्यकता होती है।
कॉल बैक का अनुरोध कीजिए
मौजूदा ग्राहक: यदि आप उत्पाद के विवरण पाने के
लिए कॉलबैक प्राप्त करना चाहते हैं, तो कृपया
नीचे उल्लिखित प्रपत्र में अपना पंजीकृत संपर्क
प्रदान कीजिए:
SIP के लिए 5 बेस्ट इक्विटी फंड, 5 साल में दिया Mutual Fund में निवेश कैसे करे Mutual Fund में निवेश कैसे करे 30% तक रिटर्न
अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं. लेकिन शेयर बाजार के बारे में आपको पूरी जानकारी नहीं है तो फिर म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. अगर आप शेयर बाजार में सीधे पैसा नहीं लगाकर कोई सुरक्षित तरीका खोज रहे हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड एसआईपी (SIP) बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. SIP की सबसे खास बात यह है कि इसके जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में एक मुश्त पैसे लगाने की बजाए मंथली बेसिस पर निवेश की सुविधा मिल जाती है. बाजार में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं, जिनमें एसआईपी करने से निवेशकों को 5 साल में 20 से 30 फीसदी के करीब रिटर्न मिला है.
यानी सीधे तौर पर सिर्फ 5 साल में निवेशकों का पैसा डबल तक बढ़ गया है. नए निवेशकों के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंड (SIP) बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. पिछले 5 वर्षों में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद कई म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को 30 फीसदी तक सालाना रिटर्न दिया है.
Mirae Asset Emerging Bluechip Fund
- रिटर्न (1 साल)- 60.53%
- रिटर्न (3 साल)- 33.55%
- रिटर्न (5 साल)- 23.94%
- कम से कम SIP: 1000 रुपये
Kotak Small Cap Fund
- 5 साल का SIP रिटर्न: 29%
- 5 साल में 5000 मंथली निवेश की वैल्यू: 6 लाख रुपये
- कम से कम SIP: 1000 रुपये
- 5 साल में एकमुश्त 1 लाख निवेश की वैल्यू: 2.66 लाख
- एसेट्स: 4765 करोड़
- एक्सपेंस रेश्यो: 0.52%
HDFC Small Cap Fund
- 5 साल का SIP रिटर्न: 23.68
- 5 साल में Mutual Fund में निवेश कैसे करे Mutual Fund में निवेश कैसे करे 5000 मंथली निवेश की वैल्यू: 5.30 लाख रुपये
- कम से कम SIP: 500 रुपये
- 5 साल में एकमुश्त 1 लाख निवेश की वैल्यू: 2.50 लाख
- एसेट्स: 12,460 करोड़
- एक्सपेंस रेश्यो: 0.87%
म्युचुअल फंड SIP रिटर्न के एक्सपर्ट के अनुसार कोई भी 35 साल के SIP पर 12 से 16 प्रतिशत तक के रिटर्न की उम्मीद कर सकता है. मान लीजिए कोई व्यक्ति 25 साल की उम्र 14,500 रुपये यानि रोजना 483 रुपये मंथली SIP के जरिए म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट कर रहा है, अगर वह 60 साल की उम्र तक इसे जारी रखता है तो 12 प्रतिशत के औसत रिटर्न से 22,93,56,845 या 22.93 करोड़ रुपये मिलेंगे. इस दौरान यह भी ध्यान रखना होगा कि हर साल अपने इनवेस्टमेंट में 10% की ग्रोथ भी रखनी होगी.
सभी म्यूचुअल फंड के बारे में
स्टॉक और बॉन्ड जैसी संपत्ति हासिल करने के लिए, एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) एक म्यूचुअल फंड स्थापित करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों और फर्मों से धन एकत्र करती है। एएमसी द्वारा जमा किए गए निवेश की निगरानी के लिए फंड मैनेजरों को नियुक्त किया जाता है। संक्षेप में, म्यूचुअल फंड कई प्रतिभागियों Mutual Fund में निवेश कैसे करे के पैसे को बॉन्ड, इक्विटी और अन्य तुलनीय उत्पादों में निवेश करने के लिए जमा करते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेशकों को उनके द्वारा निवेश की गई राशि के आधार पर फंड यूनिट आवंटित की जाती हैं। केवल मौजूदा शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य पर ही निवेशक फंड यूनिट खरीद या बेच सकते हैं। अंतर्निहित होल्डिंग्स की अस्थिरता के जवाब में एक म्यूचुअल फंड का शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) प्रतिदिन बदलता है। म्युचुअल फंड भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कड़ाई से नियंत्रित होते हैं और इसलिए, जोखिम मुक्त निवेश विकल्प के रूप में माना जा सकता है।
Recent Podcasts
Read in other Languages
Polls
- Property Tax in Delhi
- Value of Property
- BBMP Property Tax
- Property Tax in Mumbai
- PCMC Property Tax
- Staircase Vastu
- Vastu for Main Door
- Vastu Shastra for Temple in Home
- Vastu for North Facing House
- Kitchen Vastu
- Bhu Naksha UP
- Bhu Naksha Rajasthan
- Bhu Naksha Jharkhand
- Bhu Naksha Maharashtra
- Bhu Naksha CG
- Griha Pravesh Muhurat
- IGRS UP
- IGRS AP
- Delhi Circle Rates
- IGRS Telangana
- Square Meter to Square Feet
- Hectare to Acre
- Square Feet to Cent
- Bigha to Acre
- Square Meter to Cent
- Stamp Duty in Maharashtra
- Stamp Duty in Gujarat
- Stamp Duty in Rajasthan
- Stamp Duty in Delhi
- Stamp Duty in UP
These articles, the information therein and their other contents are for information purposes only. All views and/or recommendations are those of the concerned author personally and made purely for information purposes. Nothing contained in the articles should be construed as business, legal, tax, accounting, investment or other advice or as an advertisement or promotion of any project or developer or locality. Housing.com does not offer any such advice. No warranties, guarantees, promises and/or representations of any kind, express or implied, are given as to (a) the nature, standard, quality, reliability, accuracy or otherwise of the information and views provided in (and other contents of) the articles or (b) the suitability, applicability or otherwise of such information, views, or other contents for any person’s circumstances.
Housing.com shall not be liable in any manner (whether in law, contract, tort, by negligence, products liability or otherwise) for any losses, injury or damage (whether direct or indirect, special, incidental or consequential) suffered by such person as a result of anyone applying the information (or any other contents) in these articles or making any investment decision on the basis of such information (or any such contents), or otherwise. The users should exercise due caution and/or seek independent advice before they make any decision or take any action on the basis of such information or other contents.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 522