अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो आप RBI की ओर से पेश किए जा रहे सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश कर सकते हैं। यह सुरक्षित भी है और अच्‍छा ब्‍याज जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए भी पेश करता है। साथ ही गोल्ड ईटीएफ में भी आप निवेश कर सकते हैं।

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दिवाली, धनतेरस पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सही रहेगा या नहीं, जानिए

दिवाली, धनतेरस पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सही रहेगा या नहीं, जानिए

जानिए अभी Digital Gold में निवेश करना सही है या नहीं (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

डॉलर के बढ़ने और मंदी की आशंका के बीच सोने की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। वहीं एक्‍सपर्ट का मानना है कि इस दिवाली के बाद सोने जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में कई कंपनियां आपको लुभावने ऑफर पर डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करने के लिए करती हैं। कंपनियां सोना बेचने के लिए हर तरह के प्रयास करती हैं। खासकर करवा चौथ, धनतेरस और दिवाली से पहले, आपको कई ऑनलाइन और ऑफलाइन ऑफर्स देखने को मिल सकते हैं, लेकिन आपको सावधानी बरतनी चाहिए।

नियमित नहीं और सुरक्षित नहीं

डिजिटल गोल्‍ड में निवेश करना सुरक्षित नहीं है, क्‍योंकि‍ भारत में डिजिटल गोल्ड निवेश को नियमित नहीं किया गया है। इसी के मद्देनजर, पिछले साल सेबी ने सलाहकारों और ब्रोकरेज को डिजिटल सोने में निवेश करने से रोक दिया था। ऐसे में डिजिटल सोने में निवेश को लेकर आपको कभी भी ऐसी कंपनी में निवेश नहीं करना चाहिए, जो नियमित नहीं हैं। साथ ही जब तक डिजिटल गोल्‍ड को नियमित और मान्‍यता नहीं दिया जाता है, तबतक निवेशकों को इससे दूर रहना चाहिए।

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ज्‍वैलरी में बदलने पर एक्‍स्‍ट्रा चार्ज

अगर आप डिजिटल गोल्‍ड को ज्‍वैलरी में बदलना चाहते हैं और इसका इस्‍तेमाल करना चाहते हैं तो आपको अतिरिक्‍त लागत देनी पड़ेगी। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि डिजिटल गोल्‍ड के ग्राम की कीमत, वास्‍तविक सोने से मेल नहीं खाती हैं। डिजिटल सोने की दरें हमेशा आभूषण दरों से कम होती हैं। इसके अलावा, एक्सचेंज के लिए जाने पर, ग्राहकों को टैक्स और मेकिंग चार्ज के रूप में अतिरिक्त लागत का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही GST को दो बार लगाया जाता है, जब डिजिटल सोना बेचा जाता है और ज्‍वैलरी तैयार करने के बाद।

कंपनियांं वादा करती है कि वास्‍तविक सोने के बराबर डिजिटल सोना रखा जाता है, लेकिन आप इसकी जांच नहीं कर सकते हैं। साथ ही वह यह भी नहीं जान सकते हैं कि उनका सोना स्‍टोर में जमा किया गया है या नहीं। इस कारण, फ्रॉड होने का खतरा बढ़ सकता है।

निजी इक्विटी क्या है?

भारत में हम अक्सर प्रमुख उद्यम पूंजीपतियों और हाई -नेटवर्थ वाले व्यक्तियों द्वारा निजी स्वामित्व वाली कंपनियों( privately-owned companies) या स्टार्टअप में निवेश करने की खबरें सुनते हैं। इन निवेशों को बाजार के संदर्भ में निजी इक्विटी (private equity) के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह, फर्मों को अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को चलाने, नए उत्पादों या प्रौद्योगिकी पर काम करने और विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है। इस तरह के निजी निवेश का उपयोग विस्तार, विविधीकरण या अधिग्रहण के लिए भी किया जाता है। अपनी व्यापक वित्तीय संसाधन के साथ, संस्थानों को आकर्षक व्यवसाय मॉडल तक पहली पहुंच मिलती है। जैसे-जैसे कंपनियां बढ़ती हैं और सार्वजनिक हो जाती हैं, ये शुरुआती निवेशक और प्रमोटर अपने शेयर बहुत अधिक मूल्य पर बेचते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, भारत में स्थित निजी कंपनियां और स्टार्टअप अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को विकसित करके फले-फूले हैं। 2020 में, निजी बाजार में निवेश सार्वजनिक बाजार की तुलना में 2.5 गुना अधिक था। EY रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय फर्मों में PE और उद्यम पूंजी निवेश 2021 में 77 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, 2020 की तुलना में 62% की वृद्धि। हमारे देश में ई-कॉमर्स, फिनटेक और एड-टेक सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्र हैं। ऐसेमे भारतीय व्यवसायों में कौन निवेश नहीं करना चाहेगा।

मैं निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकता हूं?

रिटेल निवेशकों के रूप में, हम अक्सर अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए नए तरीकों की तलाश करते हैं। इस प्रकार, निजी कंपनियों की इक्विटी में निवेश करने से हम उनकी विकास के सफ़रका हिस्सा बन सकते हैं। इस तरह के निवेश अब जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए लीडऑफ (Leadoff) नामक एक नए मंच के माध्यम से संभव हैं, जिसका उद्देश्य भारतीयों के लिए निजी इक्विटी का लोकतंत्रीकरण करना है

डिजिटल प्लेटफॉर्म अनिवार्य रूप से प्रवेश की बाधा को तोड़ता है और आपको प्रमुख निजी कंपनियों में निवेश करने की अनुमति देता है। यह एक सहज एवं सरल निवेश मंच प्रदान करने के लिए बिचौलियों और समय लेने वाली प्रलेखन प्रक्रियाओं को कम करता है। आप इसकी मदत से चेन्नई सुपर किंग्स, जल्द ही सार्वजनिक होने वाली Oyo Rooms, PharmEasy, और Reliance Retail जैसी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, जिसकी न्यूनतम राशि केवल 10,000 रुपये है! इन उच्च-विकास फर्मों की वित्तीय रिपोर्टों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से कोई भी तर्कसंगत निवेश का निर्णय ले सकते है। निवेशकों को निवेश करने से पहले हमेशा इन रिपोर्टों को अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए।

यह कैसे काम करता है?

लीडऑफ़ ने निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के शुरुआती निवेशकों, संस्थापकों और अन्य शेयरधारकों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। इस प्रकार, वे विभिन्न संस्थाओं से शेयर प्राप्त करते हैं और उन्हें सीधे अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को हस्तांतरित करते हैं। शेयर की कीमतों का मूल्यांकन संबंधित कंपनियों और उनकी ऑडिटिंग फर्मों द्वारा किया जाता है। और जब आप ऑर्डर देते हैं, तो लीडऑफ़ शेयरों को सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर देता है!

प्लेटफ़ॉर्म बैंक-स्तरीय सुरक्षा और उपयोगकर्ता के अनुकूल डैशबोर्ड प्रदान करता है ताकि आप अपने लेनदेन पर नज़र रख सकें। पोजीशन/होल्डिंग्स को कंपनी शेयर बायबैक के माध्यम से या सार्वजनिक लिस्टिंग के समय बाहर निकाला जा सकता है। साथ ही, भारत में निजी इक्विटी शेयरों में किए गए सभी लेनदेन कानूनी हैं!

निवेश करने का निर्णय लेने से लेकर वास्तव में शेयर प्राप्त करने तक, आप 3 आसान चरणों में लेनदेन करने के लिए सक्षम होंगे:

मैं निजी कंपनियों में कैसे निवेश कर सकता हूं?

रिटेल निवेशकों के रूप में, हम अक्सर अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए नए तरीकों की तलाश करते हैं। इस प्रकार, निजी कंपनियों की इक्विटी में निवेश करने से हम उनकी विकास के सफ़रका हिस्सा बन सकते हैं। इस तरह के निवेश अब लीडऑफ (Leadoff) नामक एक नए मंच के माध्यम से संभव हैं, जिसका उद्देश्य भारतीयों के लिए निजी इक्विटी का लोकतंत्रीकरण करना है

डिजिटल प्लेटफॉर्म अनिवार्य रूप से प्रवेश की बाधा को तोड़ता है और आपको प्रमुख निजी कंपनियों में निवेश करने की अनुमति देता है। यह एक सहज एवं सरल निवेश मंच प्रदान करने के लिए बिचौलियों और समय लेने वाली प्रलेखन प्रक्रियाओं को कम करता है। आप इसकी मदत से चेन्नई सुपर किंग्स, जल्द ही सार्वजनिक होने वाली Oyo Rooms, PharmEasy, और Reliance Retail जैसी कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, जिसकी न्यूनतम राशि केवल 10,000 रुपये है! इन उच्च-विकास फर्मों की वित्तीय रिपोर्टों और महत्वपूर्ण दस्तावेजों के माध्यम से कोई भी तर्कसंगत निवेश का निर्णय ले सकते है। निवेशकों को निवेश करने से पहले हमेशा इन रिपोर्टों को अच्छी तरह से पढ़ लेना चाहिए।

यह कैसे काम करता है?

लीडऑफ़ ने निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के शुरुआती निवेशकों, संस्थापकों और अन्य शेयरधारकों का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया है। इस प्रकार, वे विभिन्न संस्थाओं से शेयर प्राप्त करते हैं और उन्हें सीधे अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्ताओं को हस्तांतरित करते हैं। शेयर की कीमतों का मूल्यांकन संबंधित कंपनियों और उनकी ऑडिटिंग फर्मों द्वारा किया जाता है। और जब आप ऑर्डर देते हैं, तो लीडऑफ़ शेयरों को सीधे आपके मौजूदा डीमैट खाते में स्थानांतरित कर देता है!

प्लेटफ़ॉर्म बैंक-स्तरीय सुरक्षा और उपयोगकर्ता के अनुकूल डैशबोर्ड प्रदान करता है ताकि आप अपने लेनदेन पर नज़र रख सकें। पोजीशन/होल्डिंग्स को कंपनी शेयर बायबैक के माध्यम से या सार्वजनिक लिस्टिंग जानिए क्या निवेश नहीं करना चाहिए के समय बाहर निकाला जा सकता है। साथ ही, भारत में निजी इक्विटी शेयरों में किए गए सभी लेनदेन कानूनी हैं!

निवेश करने का निर्णय लेने से लेकर वास्तव में शेयर प्राप्त करने तक, आप 3 आसान चरणों में लेनदेन करने के लिए सक्षम होंगे:

Mutual Fund: इस फंड ने ₹10,000 के मंथली SIP को बना दिया 17.58 लाख रुपये, निवेशक हुए मालामाल

Mutual Fund: इस फंड ने ₹10,000 के मंथली SIP को बना दिया 17.58 लाख रुपये, निवेशक हुए मालामाल

Mutual fund calculator: अगर किसी निवेशक लंबे समय के लिए निवेश करने की सोच रहे हैं तो उन्हें स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह दी जाती है। वैल्यू रिसर्च सुझाव के अनुसार, ऐसे स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड (Small cap mutual fund) निवेशकों निवेश नहीं करना चाहिए, जिसकी समय सीमा 7 साल से कम है। वहीं, अगर किसी निवेशक का निवेश टारगेट 7 साल या उससे अधिक का है तो स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड निवेश के लिए एक शानदार इक्विटी विकल्प हो सकता है। इसका बेहतर उदाहरण निप्पॉन इंडिया स्मॉल कैप फंड (Nippon India Small Cap Fund) है जिसके ताबड़तोड़ रिटर्न दिया है। पिछले सात साल में इस योजना में ₹10,000 मंथली एसआईपी (SIP) का निवेश ₹17.58 लाख हो गया है।

महिलाएं कहां इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं

रिपोर्ट्स की मानें तो अधिकतर महिलाएं गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट में इन्वेस्ट करना काफी ज्यादा पसंद करती हैं। इसके अलावा आज कल महिलाएं रियल एस्टेट, स्टॉक मार्केट और म्यूचुअल फंड में भी इन्वेस्ट करती हैं।

जिन भी महिलाओं को म्यूचुअल फंड के बारे मे अच्छे से पता है वह आसानी से म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर काफी पैसे कमा सकती हैं। म्यूचुअल फंड में भी कई प्रकार होते हैं।

इक्विटी म्यूचुअल फंड

इक्विटी फंड म्यूचुअल फंड की वो स्कीम है, जो खासकर शेयर्स/कंपनी के स्टॉक में निवेश करती है। इन्हें ग्रोथ फंड भी कहा जाता है। इसमें आप आसानी से पैसे निवेश कर सकते हैं।

अगर आप अधिकतम तीन साल तक के लिए निवेश करना चाहते हैं और रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं तो फिर आपके सामने पहला विकल्प 'फिक्स्ड डिपॉजिट' का है। लेकिन अगर फिक्स्ड डिपॉजिट से थोड़ा ज्यादा रिटर्न चाहते हैं तो फिर डेट फंड में निवेश कर सकते हैं।

हाइब्रिड म्यूचुअल फंड

हाइब्रिड फंड भी एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो एक ही फंड के अंदर कई एसेट क्लास में निवेश करता है। इसमें इन्वेस्ट करना काफी फायदे का सौदा हो सकता है।

सर्वे के अनुसार यह देखा गया है कि महिलाएं सोने में काफी ज्यादा इन्वेस्टर्स करती हैं। युवा पीढ़ी की महिलाएं भी गोल्ड में इन्वेस्ट करना पसंद करती हैं।

वहीं आज कल की युवा महिलाओं की बात करें तो वह अपनी बचत सुरक्षित और कम जोखिम वाले निवेश विकल्पों में चुनना चाहती हैं।

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