लांगटर्म निवेश के लिए टेक्निकल एनालिसिस की जरूरत बहुत कम होती है यहां किसी कंपनी के फंडामेंटल को देखकर निवेश किया जाता है।

निवेश व ट्रेडिंग का लांग और शॉर्ट

शेयर बाज़ार में निवेश/ट्रेडिंग के स्विंग ट्रेडिंग Vs लांगटर्म इन्वेस्टमेंट दो ही अंदाज़ हैं – लांग टर्म और शॉर्ट टर्म। यह अलग बात है कि लांग टर्म इधर छोटा और शॉर्ट टर्म लंबा होता गया है। इसमें से लांग टर्म या लंबी अवधि का निवेश/ट्रेडिंग अपेक्षाकृत बहुत सरल है। इसके लिए हर दिन बहुत कम समय देना पड़ता है और इसमें न्यूनतम मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ता है। खासकर तब जब आप इसे फुरसत के वक्त में करते है। इसके लिए किसी जटिल सिस्टम की जरूरत भी नहीं पड़ती। कंपनी और उसके उद्योग का आगापीछा देखा। फंडामेंटल एनालिसिस का सहारा लिया और कर दिया कई सालों के लिए निवेश।

जो लोग इसका सही तरीका अपनाते हैं वे बार-बार पौधे को उखाड़कर देखने की ज़रूरत नहीं समझते कि जड़ कितनी गहरी हो गईं। हां, इतना ज़रूर है कि कंपनी से जुड़ी खबरों व नतीज़ों पर बराबर ध्यान रखना पड़ता है और एमसीएक्स, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज़ या गीतांजलि जेम्स जैसी नकारात्मक मार के गहराने से पहले ही कम से कम घाटा काटकर निकल लेना पड़ता है। लेकिन हकीकत यही है कि लांग टर्म निवेश में ज़रा-सी सावधानी और बहुत सरल सिस्टम की बदौलत आप आसानी से काफी धन बना सकते हैं।

Intraday Trading Tips: क्या होती है डे ट्रेडिंग? कुछ घंटों में ही मिल सकता है मोटा मुनाफा, ध्यान रखें जरूरी टिप्स

Intraday Trading Tips: क्या होती है डे ट्रेडिंग? कुछ घंटों में ही मिल सकता है मोटा मुनाफा, ध्यान रखें जरूरी टिप्स

How to do Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है.

How to start Day Trading or Intraday Trading: इंटरनेट और आनलाइन ट्रेडिंग हाउसेज की पहुंच बढ़ने से अब शेयर बाजार में घर बैठे पैसे लगाना और मुनाफा कमाना आसान हो गया है. हालांकि निवेशकों की सोच अलग अलग होती है. कुछ निवेशकों का लक्ष्य लंबी अवधि का होता है और वे अपना पैसा अलग अलग लक्ष्य पूरा करने के लिए लांग टर्म के लिए निवेश करते हैं. वहीं, कुछ निवेशक शॉर्ट टर्म गोल लेकर बाजार में पैसा लगाते हैं. इन्हीं में से कुछ इंट्राडे इन्वेस्टर्स या डे ट्रेडर्स होते हैं. इंट्राडे ट्रेड में अगर सही स्टॉक की पहचान हो जाए तो शेयर बाजार में डेली बेसिस पर पैसा लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है.

क्या है इंट्राडे ट्रेडिंग

असल में बाजार में एक ही ट्रेडिंग डे पर शेयर खरीदने और बेचने को इंट्रा डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसमें सुबह पैसा लगाकर दोपहर तक अच्छी कमाई की जा सकती है. यहां शेयर खरीदा तो जाता है लेकिन उसका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि एक दिन में उसमें होने वाली बढ़त से मुनाफा कमाना होता है. ध्यान रहे कि इसमें जरूरी नहीं है कि आपको फायदा ही हो. डे-ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसके लिए पहले आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट स्विंग ट्रेडिंग Vs लांगटर्म इन्वेस्टमेंट खुलवाना होता है.

चुनें सही स्टॉक: ऐसे शेयर चुनें, जिन्हें बेचना भी आसान हो. जिन शेयरों में हाई लिक्विडिटी हो और आप उन्हें स्विंग ट्रेडिंग Vs लांगटर्म इन्वेस्टमेंट आसानी से सेल कर सकें. क्यों कि अगर आपके शेयर का कोई बॉयर नहीं होगा तो आप नुकसान में पड़ जाएंगे. लेकिन लिक्विड स्टॉक में भी 2 या 3 ही स्टॉक चुनेंं.

कितने पैसों की पड़ती है जरूरत

इंट्रा डे में आप किसी शेयर में कितनी भी रकम लगा सकते हें. शेयर बाजार में नियम है कि जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उस दिन पूरा पैसा नहीं देना होता है. नियम के तहत जिस दिन शेयर खरीदा जाता है, उसके 2 ट्रेडिंग दिनों के बाद पूरा भुगतान करना होता है. फिर भी आपको शेयर के भाव का शुरू में 30 फीसदी रकम निवेश करना होता है.

इसका उदाहरण 1 अगस्त के कारोबार में देख सकते हैं. आज एयरटेल में निवेश करने वालों की चांदी रही है और शेयर में 5 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ मिली है. असल में आज एजीआर इश्यू पर निवेशकों की नजर थी. सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए टेलिकॉम कंपनियों को 10 साल का समय दिया है. जिसके बाद एयरटेल में 5 फीसदी तेजी आ गई. ऐसे ट्रेड का ध्यान रखना डे ट्रेडर्स के लिए जरूरी है.

एक्सपर्ट का मानना है कि शेयर बाजार का अधिकांश कारोबार डे ट्रेडिंग का ही होता है, लेकिन फिर भी सावधानी के साथ कारोबार करना चाहिए. शेयर का चुनाव करने के पहले बाजार का ट्रेंड जरूर देखना चाहिए. मार्केट के ट्रेंड के खिलाफ न जाएं. शेयर खरीदने के पहले यह तय करें कि किस भाव में खरीदना है और उसका लक्ष्य कितना है. स्टॉप लॉस जरूर लगाएं.

टैक्स देनदारी

रीयल एस्टेट और म्यूचुअल फंड, दोनों में निवेश पर टैक्स बेनेफिट्स हासिल कर सकते हैं. कुछ म्यूचुअल फंड्स में सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक की जमा पर टैक्स बेनेफिट्स हासिल कर सकते हैं. रीयल एस्टेट में इंडेक्सेशन के जरिए निवेशक टैक्स बचा सकते हैं.

पैसे लगाने से पहले निवेशक लिक्विडिटी पर भी गौर करते हैं यानी कि जरूरत के समय कितनी जल्द उनके हाथ में नगदी आ सकती है. इस कसौटी पर म्यूचुअल फंड अधिक बेहतर है क्योंकि रीयल एस्टेट के निवेश से बाहर निकलना समय खाने वाला प्रोसेस है. इसके विपरीत म्यूचुअल फंड से आप जब चाहें घर बैठे ऑनलाइन अपने पैसे निकाल सकते हैं.

निवेश की प्रक्रिया

रीयल एस्टेट में निवेश के लिए कई प्रक्रियाओं और पेपरवर्क से गुजरना होता है. इसके अलावा निवेशकों को CERSAI चार्जेज, स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन चार्ज इत्यादि चुकाना होता है. ऐसे में यह काफी समय खाने वाला प्रोसेस साबित होता है. इसके विपरीत म्यूचुअल फंड में निवेश में मिनटों का ही समय लगता है. इसमें एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं तो नियमित अंतराल पर आपके बैंक खाते से अपने आप पैसे कट जाएंगे और कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं है.

रीयल एस्टेट को लेकर निवेशकों का आकर्षण बना हुआ है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यह रिस्की इंवेस्टमेंट बना हुआ है और इसमें अधिक रिटर्न नहीं मिल पा रहा है. वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड मॉडेरेट रिस्क के साथ हाई रिटर्न दे रहा है. रीयल एस्टेट में 7-11 फीसदी सालाना का रिटर्न मिल रहा है जबकि म्यूचुअल फंड में 14-19 फीसदी रिटर्न पा सकते हैं जो चुने गए फंड पर निर्भर करता है. लंबे समय तक म्यूचुअल फंड में निवेश पर शानदार रिटर्न हासिल कर सकते हैं क्योंकि इसमें पैसे कंपाउंडिंग होकर बढ़ते हैं जबकि रीयल एस्टेट में ऐसा नहीं है.

स्विंग ट्रेडिंग Vs लांगटर्म इन्वेस्टमेंट

स्विंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग से भिन्न है जहां इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको ब्रोकर द्वारा मार्जिन मनी प्राप्त होती है तथा उसी दिन आपको शेयर खरीद कर मार्केट बंद होने से पहले बेचकर बाहर निकलना होता है। किसी भी हालत में आप अपने सौदे को अगले दिन तक नहीं ले जा सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग, लांगटर्म ट्रेडिंग की भांति ही होती है इसमें ब्रोकर द्वारा मार्जिन प्राप्त नही होता है। लांगटर्म की भांति आप स्विंग ट्रेडिंग के लिए जितने शेयर खरीदते हैं उनका पूरा पैसा आपको अदा करना होता है।

स्विंग-ट्रेडिंग-Vs-लांगटर्म-इन्वेस्टमेंट

जब एक बार आप शेयर खरीद लेते हैं तो यह पूरी तरह आप पर ही निर्भर करता है कि आप उसे कब बेचते हैं, यदि आप इसे कुछ दिनों, कुछ हफ़्तो या कुछ महीनों में बेचकर अपना प्रॉफिट बुक कर लेते हैं तो यह स्विंग ट्रेडिंग कहलाता है।

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