भारतीय बाजारों के लिए आज क्या हैं ग्लोबल मार्केट से संकेत, किन खबरों वाले शेयरों पर रखें नजर

अमेरिकी फेडरल रिजर्व मॉनिटरी पॉलिसी की सख्ती को आगे भी जारी रख सकता है, इन खबरों और आशंकाओं के बीच कल अमेरिकी बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए हैं.

रिजर्व बैंक पॉलिसी से पहले भारतीय बाजार थोड़ा सुस्त हो गए हैं, कल उतार चढ़ाव के बीच भारतीय बाजार करीब करीब सपाट बंद हुए, हालांकि बैंक निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ. आज भारतीय बाजारों के लिए ग्लोबल मार्केट्स से संकेत अच्छे नहीं दिख रहे हैं. SGX Nifty की शुरुआत गिरावट के साथ हुई है, फिलहाल 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक ये करीब 60 अंक गिरकर 18750 के करीब बना हुआ है.

एशियाई बाजारों की मिली जुली शुरुआत

दूसरे एशियाई बाजारों में भी मिला जुला कारोबार देखने को मिला है, जापान का निक्केई करीब 100 अंक मजबूत है, चीन का शंघाई बिल्कुल फ्लैट है, हैंगसेंग करीब 0.25 परसेंट गिरा हुआ है, कोस्पी में चौथाई परसेंट की गिरावट है.

अमेरिकी बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए

अमेरिकी फेडरल रिजर्व मॉनिटरी पॉलिसी की सख्ती को आगे भी जारी रख सकता है, इन खबरों और आशंकाओं के बीच कल अमेरिकी बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुए हैं. दरअसल कल ISM नॉन मैन्यूफैक्चरिंग PMI 54.4 से बढ़कर 56.5 आया है, इसके पहले जॉब के आंकड़े भी बेहतर आए. इन आंकड़ों के बाद ये संदेश गया कि फेड इन बेहतर आंकड़ों को देखते हुए ब्याज दरों में इजाफा करना जारी रख सकता है. इसलिए कल डाओ जोंस 483 अंक (-1.4%), S&P500 73 अंक (-1.8%) और नैस्डेक 222 अंक (-1.93%) गिरकर बंद हुआ है.

यूरोपीय बाजारों में भी कल सुस्ती ही रही, DAX, CAC40 हल्की गिरावट के साथ बंद हुए, FTSE तकरीबन फ्लैट ही बंद हुआ.

कच्चा तेल कल करीब 3% फिसला

कमोडिटी मार्केट में सोमवार को जबरदस्त गिरावट रही, कच्चा तेल 2.7 परसेंट टूटा, हालांकि अभी ब्रेंट क्रूड मामूली सुधार के साथ 83 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बना हुआ है. जबकि WTI क्रूड में भी 1 परसेंट की तेजी देखने को मिल रही है और ये 77 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर है. कल खबर आई कि सऊदी अरब ने एशियाई तेल खरीदारों के लिए तेल के दाम घटाए हैं. करेंसी मार्केट में रुपया कल डॉलर के मुकाबले मजबूती के साथ खुला था, लेकिन बंद कमजोरी के साथ हुआ है. रुपया डॉलर के मुकाबले 52 पैसे कमजोर होकर 81.85 पर बंद हुआ.

खबरों वाले शेयर

अब एक नजर उन शेयरों पर जहां खबरों के दम पर आज हलचल दिख सकती है.

Adani Enterprises: NDTV में 26 परसेंट हिस्सेदारी खरीदने के लिए कंपनी ने अपना ओपन ऑफर बंद कर दिया है, इसके बाद कंपनी इसमें सबसे बड़ी शेयरहोल्डर बन जाएगी

Bajaj Consumer Care: कंपनी का बोर्ड 9 दिसंबर को प्रस्तावित शेयर बायबैक प्लान की मंजूरी के लिए बैठक 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक करेगा

HDFC: लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 4.99% से बढ़ाकर 5% कर ली है

Natco Pharma: कंपनी को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत मिली है, कोर्ट ने कहा है कि कंपनी ने FMC Corporation के भारतीय पेटेंट का उल्लंघन नहीं किया है, कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ अपील को रद्द कर दिया है

Kalpataru Power Transmission: कंपनी का बोर्ड 8 दिसंबर को फंड जुटाने के लिए बैठक करेगा

नीति आयोग के ऊर्जा एवं जलवायु सूचकांक में गुजरात ने किया टॉप, जानें क्या है देश 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक के बाकी राज्यों का हाल

नीति आयोग (Niti Aayog) के राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बेहतर नीतियों की योजना बनाने और बदलती जलवायु के मद्देनजर अपने ऊर्जा संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए उपयोगी होता है.

नीति आयोग के ऊर्जा एवं जलवायु सूचकांक में गुजरात ने किया टॉप, जानें क्या है देश के बाकी राज्यों का हाल

नीति आयोग (Niti Aayog) के राज्य ऊर्जा एवं जलवायु सूचकांक- राउंड 1 (SECI) में गुजरात (Gujarat) ने बड़े राज्यों में शीर्ष स्थान हासिल किया है. इस सूचकांक का मकसद छह मानकों पर राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग करना है, जिसमें 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक बिजली वितरण कंपनियों का प्रदर्शन, ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा की पहुंच शामिल हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक बाद केरल (Kerala) और पंजाब (Punjab) का स्थान है. इस सूची में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और झारखंड जैसे राज्य सबसे पीछे रहे. छोटे राज्यों में गोवा सूचकांक में सबसे ऊपर है. उसके बाद त्रिपुरा और मणिपुर का स्थान है.

एसईसीआई चक्र-1 का मकसद छह मानकों पर राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की रैंकिंग करना है. इन मानकों में (1) बिजली वितरण 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक कंपनियों (डिस्कॉम) का प्रदर्शन, (2) ऊर्जा की पहुंच, वहनीयता तथा विश्वसनीयता, (3) स्वच्छ ऊर्जा पहल, (4) ऊर्जा दक्षता, (5) टिकाऊ पर्यावरण 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक तथा (6) नई पहलें शामिल हैं. इन मानकों में कुल 27 संकेतक शामिल हैं. SECI के राउंड-1 के अंकों के परिणाम के आधार पर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को तीन समूहों- फ्रंट रनर्स, एचीवर्स तथा एस्पिरेंट्स में वर्गीकृत किया गया है. राज्य और केंद्रशासित प्रदेश सूचकांक का उपयोग करके अपने मानक की तुलना कर सकेंगे और बेहतर नीति व्यवस्था विकसित करने में सक्षम होंगे.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन का हिस्सा है भारत

बता दें कि राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बेहतर नीतियों की योजना बनाने और बदलती जलवायु के मद्देनजर अपने ऊर्जा संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने के लिए उपयोगी होता है. इससे पहले, नीति आयोग के एक अधिकारी ने कहा, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सूचकांक का उपयोग करके अपने मानक की तुलना समकक्षों से करेंगे, बेहतर नीति व्यवस्था विकसित करने की संभावित चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे और अपने ऊर्जा संसाधनों का दक्षतापूर्वक प्रबंधन करेंगे.

राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक राउंड-1 विभिन्न सरकारी विभागों के सचिवों और ऊर्जा क्षेत्र के हितधारकों की उपस्थिति में जारी किया गया सूचकांक नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने जारी किया. इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत तथा सीईओ अमिताभ कांत, विभिन्न सरकारी विभागों के सचिव और ऊर्जा क्षेत्र के हितधारक उपस्थित रहे.

भारत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) का पक्षकार (पार्टी) है, जिसमें 190 से अधिक देश पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए उत्सर्जन में कटौती पर बातचीत करते हैं. भारत में पहले से ही जलवायु परिवर्तन पर एक राष्ट्रीय मिशन मौजूद है.

2 करोड़ लोगों के लिए काम करने वाले नगर निगम का ऐसा है इतिहास

2 करोड़ लोगों के लिए काम करने वाले नगर निगम का ऐसा है इतिहास

दिल्ली नगर निगम चुनाव को सुचारू रूप से समापन कराने के लिए रविवार को करीब 40,000 पुलिस कर्मियों, 20,000 होमगार्डों के साथ-साथ अर्धसैनिक और राज्य सशस्त्र पुलिस बलों की 108 कंपनियों को तैनात किया जाएगा .

4 दिसंबर यानी रविवार के दिन दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव हैं . 4 दिसंबर केवल एक और वीकेंड हॉलिडे नहीं होगा, बल्कि दिल्ली का भविष्य भी तय होगा . मूल रूप से अप्रैल-मई 2022 के लिए निर्धारित इन चुनावों को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि केंद्र गवर्नमेंट ने वार्डों की संख्या 272 से घटाकर 250 करने का निर्णय किया था . पिछले कुछ महीनों से एमसीडी के पास कोई निर्वाचित पार्षद नहीं था, जिससे लोग क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिए संपर्क कर सकें . दिल्ली, एक ऐतिहासिक और आधुनिक शहर होने के नाते रहने और काम करने के लिए सबसे अच्छी जगहों में गिना जाता था . हालाँकि, हाल के दिनों में, दिल्ली ‘स्वच्छ संकेतक’ में पिछड़ गया है . दिल्ली के लैंडफिल और सामान्य अस्वास्थ्यकर स्थितियां, आवारा जानवर, बिना रखरखाव वाले पार्क और उपमार्ग न सिर्फ आगंतुकों पर नकारात्मक असर डालते हैं बल्कि इसके 2 करोड़ निवासियों के लिए एक अस्वास्थ्यकर-असभ्य वातावरण भी बनाते हैं .

रविवार को शहर के सभी थोक 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक और फुटकर बाजार बंद रहेंगे

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने बोला कि एमसीडी चुनाव के मद्देनजर दिल्ली के सभी थोक और खुदरा बाजार 4 दिसंबर को बंद रहेंगे . राज्य चुनाव आयुक्त विजय देव ने 4 नवंबर को एमसीडी चुनाव के तारीखों की घोषणा की । उसी दिन से राष्ट्रीय राजधानी में आचार संहिता तुरन्त असर से लागू हो गई . निकाय चुनाव के दिन सभी लाइनों पर दिल्ली मेट्रो ट्रेन सेवाएं सभी टर्मिनल स्टेशनों से सुबह 4 बजे प्रारम्भ होंगी .

एमसीडी चुनाव में 1.45 करोड़ मतदाता वोटिंग के लिए तैयार

दिल्ली में रविवार को होने वाले उच्च-दांव वाले निकाय चुनावों के लिए मंच तैयार है, चुनाव ऑफिसरों और सुरक्षा बलों ने चुनावों के लिए कमर कस ली है, जिसे आम तौर पर आप, बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के बीच तीन-तरफ़ा मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है . इनमें से 78 लाख 93 हजार 418 पुरूष मतदाता, 66 लाख 10 हजार 879 स्त्री मतदाता और 1061 ट्रांसजेंडर मतदाता की संख्या है .

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

दिल्ली नगर निगम चुनाव को सुचारू रूप से समापन कराने के लिए रविवार को करीब 40,000 पुलिस कर्मियों, 20,000 होमगार्डों के साथ-साथ अर्धसैनिक और राज्य सशस्त्र पुलिस बलों की 108 कंपनियों को तैनात किया जाएगा . 250 वार्डों में होने वाले निकाय चुनाव में पुलिस का ध्यान बढ़ती दृश्यता, सांप्रदायिक भड़कने की आसार को रोकने और गैर कानूनी उपायों से मतदाताओं को लुभाने से रोकने पर होगा . संवेदनशील क्षेत्रों में कानून प्रबंध बनाए रखने के लिए 60 ड्रोन का उपयोग किया जाएगा . सुरक्षा प्रबंध के सुचारू निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, बटालियन बल और होमगार्ड के लिए एक सामान्य ब्रीफिंग और पूर्वाभ्यास आयोजित किया गया है .

दिल्ली नगर निगम से जुड़ी बड़ी बातें

दिल्ली नगर निगम विश्व के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है .

दिल्ली नगर निगम 2 करोड़ लोगों के लिए काम करता है, जो श्रीलंका राष्ट्र की जनसंख्या के बराबर है .

दिल्ली नगगर निगम का एरिया 1397 वर्ग किलोमीटर का है .

दिल्ली नगर निगम का 2022-23 का बजट 15,276 करोड़ रुपये है .

अभी नगर निगम में कुल 250 वार्ड हैं, जिसमें 42 सीटें एससी समाज के लिए आरक्षित हैं .

PMI Index for June: अर्थव्यवस्था के लिए आई बुरी खबर, 11 महीने में पहली बार मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में गिरावट दर्ज

PMI Index for June: कोरोना की दूसरी लहर का असर इतना गंभीर दिखा कि 11 महीने में पहली बार मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में गिरावट दर्ज की गई.

Published: July 1, 2021 3:23 PM IST

PMI Index

PMI Index for June: कोरोना की दूसरी लहर के बीच जून माह में मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में गिरावट दर्ज की गई. दूसरी लहर का असर इतना गंभीर रहा कि जून माह में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स PMI for manufacturing घटकर 48.1 पर पहुंच गया. पिछले 11 माह में इसमें पहली बार गिरावट दर्ज की गई है.

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बता दें, PMI Index जब 50 से ऊपर पर रहता है तो यह ग्रोथ को दर्शाता है, जबकि 50 के नीचे आने पर इसमें गिरावट मानी जाती है. मई माह में PMI for manufacturing sector 50.8 था. रिपोर्ट में कहा गया है कि मांग में कमी आने से प्रोडक्शन पर असर देखा गया है, जिसके कारण ओवरऑल इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई है.

IHS Markit की इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि भारत में कोरोना संकट अभी भी बरकरात है. कंपनियों को इस बात का पता नहीं चल पा रहा है कि यह क्राइसिस कब तक जारी रहेगी. ग्रोथ आउटलुक पर इसका सीधा असर होता हुआ देखा जा रहा है.

ताजा आंकड़ों से कारखानों के ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात और खरीद में नए सिरे से संकुचन का पता चलता है. इसके अलावा समीक्षाधीन माह के दौरान व्यापार आशावाद में कमी आई और लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा. कोविड-19 प्रतिबंधों ने भारतीय सामानों की अंतरराष्ट्रीय मांग को भी कम कर दिया और दस महीनों में पहली बार नए निर्यात ऑर्डर में कमी आई.

आईएचएस मार्किट की आर्थिक संयुक्त निदेशक पॉलियाना डी लीमा ने बताया कि भारत में कोविड-19 के प्रकोप का विनिर्माण अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ा. जून में नए ऑर्डर, उत्पादन, निर्यात और खरीद बाधित हुई. हालांकि, लीमा ने कहा कि हर तरह से संकुचन की दर पहले लॉकडाउन की तुलना में कम थी.

पिछले साल मई में कोविड- 19 संक्रमण प्रसार पर नियंत्रण के लिये लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इन आठ बुनियादी उद्योगों के उत्पादन में 21.4 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी. इस साल मार्च में इन उद्योगों में 11.4 फीसदी और अप्रैल महीने में 60.9 फीसदी की वृद्धि हासिल की गई. अप्रैल 2021 में हासिल ऊंची वृद्धि की भी प्रमुख वजह एक साल पहले का तुलनात्मक आधार काफी नीचे रहना है. अप्रैल 2020 में भी देशव्यापी लॉकडाउन के कारण कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह से बंद रही थी.

वहीं, मई माह में आठ कोर इन्फ्रा सेक्टर में 16.8 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है. यह तेजी मई 2020 के मुकाबले दर्ज की गई है. अप्रैल में कोर सेक्टर आउटपुट में 60.9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी. उस हिसाब से मई में इसमें गिरावट आई है, क्योंकि कोरोना की नई 60 सेकंड के व्यापार के लिए एमएसीडी संकेतक लहर के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में लोकल लॉकडाउन लगाया गया था.

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