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2021 में RBI सोने का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार

2021 में RBI सोने का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार |_40.1

सबसे बड़े खरीदार, सेंट्रल बैंक ऑफ थाईलैंड (Central Bank of Thailand) ने 90 मीट्रिक टन सोना खरीदा, जबकि RBI ने दिसंबर 2021 के अंत में अपने कुल सोने के भंडार को 754.1 टन तक ले जाते हुए 77.5 मीट्रिक टन खरीदा। जब सोने की खरीदारी की बात आती है, तो भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India – RBI) 2021 में दुनिया के केंद्रीय बैंकों में पीली धातु के दूसरे सबसे बड़े खरीदार के रूप में उभरा है । गोल्डहब के अनुसार, भारत का आधिकारिक स्वर्ण भंडार दुनिया में नौवां सबसे बड़ा भंडार है। गोल्डहब विश्व स्वर्ण परिषद (World Gold Council) की आधिकारिक वेबसाइट है जो कीमती धातुओं से संबंधित सभी डेटा का रखरखाव करती है।

दिसंबर 2021 के अंत में, RBI के सोने का भंडार 754.1 टन था, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का 6.22 प्रतिशत है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर, 2021 के अंत में भारत का कुल भंडार 633.61 बिलियन डॉलर था, जिसमें 39.405 बिलियन डॉलर का स्वर्ण भंडार शामिल है।

भारतीय जूट उद्योग

भारत में जूट का प्रथम कारखाना सन 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड ने बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और इन कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। जूट के 112 कारखानों में से 102 कारखाने ही भारत के हिस्से में आये।

भारतीय अर्थव्यवस्था में जूट उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 19वीं शताब्दी तक यह उद्योग कुटी एवं लघु उद्योगों के रूप में विकसित था एवं विभाजन से पूर्व जूट उद्योग के मामले में भारत का एकाधिकार था। विशेष रूप से कच्चा जूट भारत से स्कॉटलैंड भेजा जाता था। जहाँ से टाट-बोरियाँ बनाकर फिर विश्व के विभिन्न देशों में भेजी जाती थीं, जोकि विदेशी मुद्रा का प्रमुख स्रोत थी। यह निर्यात व्यापार जूट उद्योग का जीवन रक्त था। दुनिया के प्रायः सभी देशों में जूट निर्मित उत्पादों की माँग हमेशा बनी रहती है। अतः आज भी भारत में जूट को ‘सोने का रेशा’ कहा जाता है।

प्रथम तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध स्थलों पर खाद्य तथा आयुध सामग्री पहुँचाने के लिये जूट से निर्मित उत्पादों की माँग में हुई अप्रत्याशित वृद्धि से इस उद्योग की तेजी से प्रगति हुई। भारत में जूट का प्रथम कारखाना सन 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? ने दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और इन कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। जूट के 112 कारखानों में से 102 कारखाने भारत के हिस्से में आये। भारत में जूट उद्योग के विकास के लिये यह चुनौती भरा कार्य था। साथ ही 1949 में भारतीय रुपये के अवमूल्यन के कारण भारतीय कारखानों के लिये पाकिस्तान का कच्चा जूट बहुत महँगा हो गया। पाकिस्तान ने इन बदलती हुई परिस्थितियों का भरपूर लाभ उठाया लेकिन भारत सरकार के प्रोत्साहन एवं प्रयासों के कारण शीघ्र ही इस समस्या का निदान कर लिया गया। पश्चिम बंगाल, असम, बिहार इत्यादि राज्यों के किसानों ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुये जूट के उत्पादन में अथक परिश्रम किया और वे अपने लक्ष्य में सफल रहे।

आज भारत में 9 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि पर जूट का उत्पादन किया जा रहा है। जूट मिलों की संख्या 73 है। इनमें से 59 मिलें पश्चिम बंगाल में हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में 5 इकाईयाँ कार्यरत हैं। प्रतिवर्ष लगभग 14 लाख टन जूट का उत्पादन किया जा रहा है। अनुकूल जलवायु के कारण 90 प्रतिशत जूट पश्चिम बंगाल, बिहार एवं असम राज्यों में उतपन्न होता है। पश्चिम बंगाल में नित्यवाही नदियों के कारण बहता हुआ साफ पानी उपलब्ध हो जाता है जिससे जूट को साफ, चमकीले एवं मजबूत रेशों में परिवर्तित किया जाता है। जूट उद्योग में 3 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है, तथा जूट उत्पादन से 40 लाख परिवार अपना जीविकोपार्जन करते हैं। वर्तमान में करघों की संख्या बढ़कर लगभग 40,500 हो गई है। विश्व के जूट उत्पाद का 40 प्रतिशत भारत एवं 50 प्रतिशत बांग्लादेश से उपलब्ध होता है।

नियोजित विकास

विभिन्न पँचवर्षीय योजनाओं में देश में जूट के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि की प्रवृत्ति रही है। पहली योजना के अन्तिम वर्ष में भारत में जूट का उत्पादन 42 लाख गाँठे था, जो 1996-97 में बढ़कर एक करोड़ गाँठें हो गया। जूट का उत्पादन एवं जूट से निर्मित उत्पादों को तालिका-1 में दर्शाया गया हैै।

तालिका - 1

कच्चे जूट का उत्पादन (लाख गाँठें)

जूट निर्मित माल (लाख टन)

देश की खबरें | ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारतीय नौसेना में शामिल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. स्वदेश निर्मित एवं ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार मिसाइल विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरे विध्वंसक पोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

देश की खबरें | ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारतीय नौसेना में शामिल

मुंबई, 18 दिसंबर स्वदेश निर्मित एवं ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार मिसाइल विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरे विध्वंसक पोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सेना में शामिल किए जाने के लिए मुंबई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ युद्धपोत डिजाइन करने और उसे विकसित करने में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि भारत को स्वदेश निर्मित पोत का केंद्र बनाना लक्ष्य है। उन्होंने ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सबसे शक्तिशाली स्वदेशी युद्धपोतों में से एक और प्रौद्योगिकी आधार पर सबसे उन्नत युद्धपोत बताया। उन्होंने कहा कि युद्धपोत को शामिल किए जाने से भारत की समुद्री ताकत मजबूत होगी और यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।

सिंह ने कहा, ‘‘आईएनएस मोरमुगाओ प्रौद्योगिकी के रूप से दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइल पोतों में से एक है। इसके निर्माण में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और यह युद्धपोतों के डिजाइन एवं विकास में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है तथा स्वदेशी रक्षा उत्पादन में हमारी बढ़ती क्षमताओं का एक बेहतरीन उदाहरण दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह युद्धपोत हमारे देश के साथ-साथ दुनिया भर में हमारे मित्र देशों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा।’’

सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ को शामिल करने के लिए नौसेना और एमडीएल की सराहना की और इसे इंजीनियर, तकनीशियन, डिजाइनर और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण एवं आकांक्षाओं का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए इस पोत का निर्माण बहुत गर्व की बात है।

सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा करना नौसेना की प्रमुख जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर बढ़ते व्यापार से जुड़ी है, जिनमें से अधिकतर व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। हमारे हित हिंद महासागर से सीधे तौर पर जुड़े हैं। इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश होने के कारण इसकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह देखकर खुशी होती है कि वे(नौसेना) अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।’’

सिंह ने अदम्य साहस और समर्पण के साथ सीमाओं और तटों की रक्षा करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की और उन्हें भारत के अभूतपूर्व विकास की रीढ़ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत हर दिन सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहा है। अब हम दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। निवेश कंपनी ‘मॉर्गन स्टैनली’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच साल में हम शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे।’’

उन्होंने तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के कारण उत्पन्न होने वाली हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए देश को तैयार करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और कहा कि सैन्य अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार एवं उपकरण प्रदान करके सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करते रहना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

सिंह ने कहा, ‘‘वैश्वीकरण के इस युग में, लगभग सभी राष्ट्र व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे पर निर्भर हैं और इसी लिए दुनिया में स्थिरता एवं आर्थिक प्रगति के लिए नौवहन की नियम-आधारित स्वतंत्रता, समुद्री मार्गों की सुरक्षा आदि पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।’’

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने इस मौके पर कहा कि युद्धपोत को गोवा मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर नौसेना में शामिल किया जाना पिछले एक दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हुई बड़ी प्रगति की ओर इशारा करता है।

उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक सटीक उदाहरण है और भारत को वैश्विक पोत निर्माण केंद्र बनाने में मदद करने की नौसेना की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करता है।

उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत अपनी बहु-आयामी युद्धक क्षमता के साथ पश्चिमी बेड़े का हिस्सा बनेगा, जो भारतीय नौसेना की सबसे अहम शाखा है।

इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान और गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन भी उपस्थित रहे।

आईएनएस मोरमुगाओ ‘प्रोजेक्ट 15बी’ के तहत ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार विध्वंसकों में से दूसरा विध्वंसक है। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना से संबद्ध संगठन वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।

गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर इसका नाम ‘मोरमुगाओ’ रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था और इसी दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे। इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है। पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।

यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

देश की खबरें | ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारतीय नौसेना में शामिल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. स्वदेश निर्मित एवं ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार मिसाइल विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरे विध्वंसक पोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

देश की खबरें | ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ भारतीय नौसेना में शामिल

मुंबई, 18 दिसंबर स्वदेश निर्मित एवं ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार मिसाइल विध्वंसक युद्धपोतों में से दूसरे विध्वंसक पोत ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सेना में शामिल किए जाने के लिए मुंबई में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ युद्धपोत दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? डिजाइन करने और उसे विकसित करने में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है।

उन्होंने कहा कि भारत को स्वदेश निर्मित पोत का केंद्र बनाना लक्ष्य है। उन्होंने ‘आईएनएस मोरमुगाओ’ को सबसे शक्तिशाली स्वदेशी युद्धपोतों में से एक और प्रौद्योगिकी आधार पर सबसे उन्नत युद्धपोत बताया। उन्होंने कहा कि युद्धपोत को शामिल दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? किए जाने से भारत की समुद्री ताकत मजबूत होगी और यह राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा।

सिंह ने कहा, ‘‘आईएनएस मोरमुगाओ प्रौद्योगिकी के रूप से दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? दुनिया के सबसे उन्नत मिसाइल पोतों में से एक है। इसके निर्माण में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और यह युद्धपोतों के डिजाइन एवं विकास में भारत की उत्कृष्टता का प्रमाण है तथा स्वदेशी रक्षा उत्पादन में हमारी बढ़ती क्षमताओं का एक बेहतरीन उदाहरण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह युद्धपोत हमारे देश के साथ-साथ दुनिया भर में हमारे मित्र देशों की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करेगा।’’

सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ को शामिल करने के लिए नौसेना और एमडीएल की सराहना की और इसे इंजीनियर, तकनीशियन, डिजाइनर और वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत, समर्पण एवं आकांक्षाओं का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए इस पोत का निर्माण बहुत गर्व की बात है।

सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के हितों की रक्षा करना नौसेना की प्रमुख जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर बढ़ते व्यापार से जुड़ी है, जिनमें से अधिकतर व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। हमारे हित हिंद महासागर से सीधे तौर पर जुड़े हैं। इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश होने के कारण इसकी सुरक्षा में भारतीय नौसेना की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह देखकर खुशी होती है कि वे(नौसेना) अपने कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।’’

सिंह ने अदम्य साहस और समर्पण के साथ सीमाओं और तटों की रक्षा करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की और उन्हें भारत के अभूतपूर्व विकास की रीढ़ बताया।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत हर दिन सफलता की नई ऊंचाइयां छू रहा है। अब हम दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। निवेश कंपनी ‘मॉर्गन स्टैनली’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले पांच साल में हम शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे।’’

उन्होंने तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य के कारण उत्पन्न होने वाली हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए देश को तैयार करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और कहा कि सैन्य अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार एवं उपकरण प्रदान करके सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को मजबूत करते रहना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

सिंह ने कहा, ‘‘वैश्वीकरण के इस युग में, लगभग सभी राष्ट्र व्यापार के क्षेत्र में एक-दूसरे पर निर्भर हैं और इसी लिए दुनिया में स्थिरता एवं आर्थिक प्रगति के लिए नौवहन की नियम-आधारित स्वतंत्रता, समुद्री मार्गों की सुरक्षा आदि पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।’’

नौसेना प्रमुख दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? एडमिरल आर हरि कुमार ने इस मौके पर कहा कि युद्धपोत को गोवा मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या पर नौसेना में शामिल किया जाना पिछले एक दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हुई बड़ी प्रगति की ओर इशारा करता है।

उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक सटीक उदाहरण है और भारत को वैश्विक पोत निर्माण केंद्र बनाने में मदद करने की नौसेना की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करता है।

उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत अपनी बहु-आयामी युद्धक क्षमता के साथ पश्चिमी बेड़े का हिस्सा बनेगा, जो भारतीय नौसेना की सबसे अहम शाखा है।

इस मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान और गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन भी उपस्थित रहे।

आईएनएस मोरमुगाओ ‘प्रोजेक्ट 15बी’ के तहत ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के चार विध्वंसकों में से दूसरा विध्वंसक है। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना से संबद्ध संगठन वारशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।

गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर इसका नाम ‘मोरमुगाओ’ रखा गया है। संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था और इसी दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है? मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे। इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है। पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।

यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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