मीडिया से बात करते हुए मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि एफपीओ की चार चरण की कार्यशाला में किसानों और एफपीओ को तकनीकी ज्ञान के बारे में जानकारी दी गई है. यह जानकारी कृषि विभाग और उनके सहयोगी विभागों के द्वारा दी गई है. इस कार्यशाला में किसानों को तकनीक के माध्यम से उनके फसलों में कैसे वृद्धि किया जाए, इसके बारे में जानकारी दी गई. साथ ही लागत की कमी करना और क्षति में भी कमी लाना मुख्य उद्देश रहा.

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गाजीपुर: कैसे बनाएं खेती को लाभ का धंधा, विशेषज्ञों ने किसानों को दी जानकारी

गाजीपुर: कैसे बनाएं खेती को लाभ का धंधा, विशेषज्ञों ने किसानों को दी जानकारी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए जिले में किसानों के द्वारा बनाए गए एफपीओ को तकनीकी ज्ञान देकर उनके फसलों में वृद्धि के साथ ही उनकी लागत में कमी और खेती के दौरान होने वाली क्षति को भी कम करने के तकनीकी ज्ञान के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें किसान और उसे संबंधित कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए एफपीओ के लोग शामिल हुए. कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, जिला कृषि विज्ञान केंद्र सहित कई कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए अन्य विभागों के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने किसानों को उनकी फसलों से जुड़े हुए कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए तकनीकी ज्ञान दिया.

इस दौरान किसानों को बाजरे की खेती के प्रति भी प्रोत्साहित किया गया. बताया गया कि बाजरा जो कभी गरीबों का मुख्य भोजन हुआ करता था, आज के बदलते दौर में और बढ़ रहे लोगों को लेकर अमीरों का भी भोजन बन चुका है. इसका उत्पादन कर किसान और एफपीओ अच्छा लाभ पा सकते हैं.

डीएम के निर्देश पर आयोजित हुई कार्यशाला

बता दें, गाजीपुर के एफपीओ (कृषि उत्पादक संगठन) कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए के उन्नयन के लिए विकास भवन में कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए मुख्य विकास अधिकारी गाजीपुर की अध्यक्षता में कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें जनपद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी, कृषि उद्यान, पशु पालन, यूपी डास्प के अधिकारियों के अतिरिक्त कृषि कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए विज्ञान केंद्र के आकुशपुर और पीजी कॉलेज के वैज्ञानिकों ने सहभागिता सुनिश्चित की. डीएम कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए के निर्देश पर जिले में चार दिन की कार्यशाला प्रस्तावित की गई है.

कार्यशाला में सहायक महाप्रबंधक एपीडा भारत सरकार सी.बी सिंह, डी.डी एम नावार्ड एल. डी. एम द्वारा भी सहभाग किया जाएगा. जनपद के किसानों के उत्पाद निर्यात के लिए किसानों को तैयार किया जाएगा. कार्यशाला में ज्येष्ठ कृषि विपणन निरीक्षक ने अवगत कराया कि कृषि उत्पाद के निर्यात के लिए कलस्टर बनाना आवश्यक है. गाजीपुर के उत्पादों की जीओ टैगिंग कराई जाए. कृषि वैज्ञानिकों ने डॉ. शशांक सिंह, डीके सिंह, डॉ. एस.के सिंह और डॉ. आर. सी बर्मा ने किसान के समस्याओं का समाधान बताया.

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जल, सफाई एवं स्वच्छता

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खुले में शौच को समाप्त करने की दिशा में भारत में तेजी से प्रगति हो रही है जो पानी, स्वच्छता और स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) में सुधार करने में बहुत बड़ा प्रभाव डाल रहा है। कुछ साल पहले, 2015 में, लगभग 568 मिलियन लोगों की भारत की लगभग आधी आबादी को शौचालयों तक पहुंच नहीं होने के कारण खेतों, जंगलों, पानी के निकायों, या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर शौच करना पड़ता था। अकेले भारत में दक्षिण एशिया के 90 प्रतिशत और दुनिया के कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए 1.2 बिलियन लोगों में से आधे लोग खुले में शौच करते हैं। 2019 तक, नवीनतम अनुमानों के अनुसार, लगभग शौचालय की कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए सुविधा से वंचित लोगों की संख्या घट कर 450 मिलियन की कमी आई है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री की अगुवाई में चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) (स्वच्छ भारत अभियान) के संभव हुआ है। यूनिसेफ स्वच्छ भारत मिशन का एक गौरवपूर्ण भागीदार रहा है। भारत 2019 के अंत तक देश में खुले में शौच को समाप्त करने की उम्मीद करता है। आगे बढ़ते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हर समय, सभी के द्वारा शौचालयों का उपयोग निरंतर हो। शहरों में या ग्रामीण इलाकों में, ऐतिहासिक रूप से भी साक्ष्य मौजूद है कि खुले में सोच करने का प्रचालन गरीब नागरिकों में देखा गया। इस अभ्यास से पर्यावरण में प्रतिदिन लाखों टन मल निकलता है, जिससे भारत के बच्चे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क में आते हैं। इसकी वजह से डायरिया और जलजनित बीमारियों के फैलने का खतरा तथा घरों और समुदायों में नियमित रूप से हैंडवॉशिंग और पानी सूक्ष्मजीव (microbial) से दूषित का भी ख़तरा बढ़ जाता है। इसकी वजह से भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग 100,000 बच्चों की डाएरिया से मौत हो गई थी।

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