1. परसेंटेज मेथड (Percentage Method): ज्यादातर ट्रेडर Stop loss के लिए परसेंटेज नियम का पालन करते हैं। यह परसेंटेज नियम शेयर प्राइस का 10 प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए यदि शेयर प्राइस 100 रुपये है तो 100 रुपये का 10 प्रतिशत कम यानी 90 रुपये पर आप अपना Stop loss लगा सकते है।

Stop Loss Meaning in Hindi

Stop Loss वह मूल्य है जो शेयर मार्केट में ट्रेडर को ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। यह ट्रेडर्स के जोखिम को कम कर उन्हें सही समय पर मार्केट से बाहर निकलने की अनुमति देता है।

शॉर्ट टर्म ट्रेड में स्टॉप लॉस की जरुरत और भी बढ़ जाती ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? है क्योंकि यहां जोखिम की संभावना और भी ज्यादा होती है। स्टॉप लॉस ट्रेडर के इसी जोखिम को सीमित करता है।

यह उनलोगों के लिए रामबाण की तरह है जो निरंतर ट्रेडिंग नहीं करते और जो शेयर बाजार के ट्रेंड से अनजान हैं। ऐसे लोग स्टॉप लॉस लगाकर अपने नुकसान को कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस को अच्छे से समझने के लिए एक उदहारण लेते है।

यदि हम किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से इस उम्मीद में खरीदते हैं कि इसकी प्राइस मार्केट में कभी तो 120 रुपये हो जाएगी और यह अच्छा-खासा रिटर्न देगी।

Stop Loss Kaise Lagaye

ऐसे ट्रेडर जो स्टॉक मार्केट में ट्रेड की शुरुआत करने जा रहे हैं और उनके पास मार्केट के ट्रेंड को समझने का अनुभव नहीं है तो ट्रेडर के मन में नुकसान का डर सबसे ज्याादा होता है।

यह डर ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? कभी-कभी इतना ज्यादा होता है कि लोग अपने ट्रेंडिंग के इरादों को भी बदल देते हैं। ऐसे ट्रेडर के लिए स्टॉप लॉस एक सहारे की तरह है जिससे वे अपने हिसाब से अपने लॉस को तय कर सकते हैं और प्रॉफिट को लॉक कर सकते हैं।

आइये जानते है कुछ ऐसे स्ट्रेटेजी जो आपको इंट्राडे ट्रेडिंग में सही ट्रिगर प्राइस सेट करने में मदद करती है ।

Best Stop Loss Strategy in Hindi

Stop loss के बारे में अच्छी तरह समझने के बाद सवाल उठता है कि आखिर किस प्राइस पर Stop loss लगाया जाए, क्या इसके लिए कोई नियम है?

इन सवालों के जवाब के साथ ही आप Stop loss को लेकर एक अच्छी रणनीति तैयार कर सकते हैं। शेयर मार्केट का गणित का सही उपयोग कर ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? आप स्टॉप लॉस की जानकारी प्राप्त कर सकते है।

स्टॉप लॉस के फायदे

Stop loss लगाने के लिए ट्रेडर को अलग से कोई राशि नहीं देनी पड़ती है। इस तरह से देखा जाए तो ट्रेडर के लिए यह एक फ्री इंश्योरेंस पॉलिसी की तरह है जो केवल फायदा ही पहुंचा सकती है नुकसान नहीं।

नए ट्रेडर को ट्रेड करने के लिए प्रोत्साहित करती है। नए ट्रेडर के सामने सबसे बड़ी चुनौती और मार्केट में उतरने का डर होता है कि कही वो अपने पैसे न गंवा दें। इसलिए Stop loss जोखिम को कम कर ट्रेडर का मार्केट में उतरने के निर्णय में मदद करता है।

ये आपके मार्केट संबंधी भ्रांतियों को दूर कर एक विश्वास प्रदान करता है। यदि कोई ट्रेडर अपनी उम्मीद के मुताबिक ही मार्केट में जोखिम उठाता है तो मार्केट के प्रति उसका विश्वास बढ़ता है।

स्टॉप लॉस के नुकसान

Stop loss के सबसे बड़े नुकसानों में से एक की बात करें तो मार्केट में आई कुछ समय की अस्थिरता पर भी यह सक्रिय हो जाते हैं क्योंकि हो सकता है कुछ समय अंतराल के बाद मार्केट में फिर से तेजी आ जाए।

ऐसे में ट्रेडर ज्यादा रिटर्न पाने की संभावना से वंचित रह जाता है। इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। मान लिया किसी ट्रेडर ने 120 में शेयर खरीदे और 108 का स्टॉप लॉस लगाया।

अब यदि मार्केट कुछ समय के लिए भी नीचे आया तो शेयर 108 में सेल हो जाएगा जबकि यह शेयर ट्रेडर को और भी ज्यादा बड़ा रिटर्न दे सकता था।

स्टॉप लॉस लगाने के लिए कोई स्थायी नियम नहीं है। अलग-अलग ट्रेडर अपने हिसाब से इसका उपयोग कर सकते हैं। एक और नुकसान की बात करें तो मार्केट ट्रेंड के हिसाब से स्टॉप लॉस में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

नए ट्रेडर के लिए Stop loss एक इंश्योरेंस की तरह तो है जो उनके जोखिम को खत्म कर उनके पैसे खोने के डर को खत्म करता है लेकिन लेकिन कभी-कभी यह नुकसान भी पहुंचाता है।

मार्केट ऑर्डर

एक स्टॉप सीमित ऑर्डर एक निर्धारित समय सीमा पर एक सशर्त ऑर्डर है, जो किसी दिए गए स्टॉप मूल्य तक पहुंचने के बाद एक निर्दिष्ट मूल्य पर निष्पादित होता है। एक बार स्टॉप मूल्य पर पहुंचने के बाद, यह आपके द्वारा निर्धारित सीमित मूल्य से सीमित मूल्य पर या बेहतर मूल्य पर खरीद होगी या बिक्री होगी।

स्टॉप मार्केट ऑर्डर

स्टॉप सीमित ऑर्डर के समान, स्टॉप मार्केट ऑर्डर ट्रेड को ट्रिगर करने के लिए स्टॉप मूल्य का उपयोग करता है। हालांकि, जब स्टॉप मूल्य पर पहुंच जाता है, तो यह इसके बजाय मार्केट ऑर्डर को ट्रिगर करता है।

ट्रेलिंग स्टॉप आर्डर

एक ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर व्यापारियों को बाजार मूल्य से एक विशिष्ट प्रतिशत पर प्री-सेट ऑर्डर देने की अनुमति देता है जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है। जब तक मूल्य व्यापारियों के अनुकूल दिशा में बढ़ रही होती है, तब तक यह व्यापार को खुला रहने और लाभ को जारी रखने में सक्षम बनाता है। यह दूसरी दिशा में वापस नहीं जाता है। जब कीमत एक निर्दिष्ट प्रतिशत से विपरीत दिशा में चलती है, तो ट्रेलिंग स्टॉप ऑर्डर बाजार मूल्य पर निष्पादित किया जाएगा।

पोस्ट ओनली ऑर्डर

जब आप ऑर्डर देते/देती हैं तो पोस्ट ओनली ऑर्डर ऑर्डर बुक में जुड़ जाते हैं, लेकिन उन्हें तुरंत निष्पादित नहीं किया जाता है।

ट्रिगर प्राइस क्या होता है?

इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।

जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।

जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।

2) STOP LOSS in stock market with Yesterday’s high or low:-

Stoploss with yesterday ‘s HIGH और LOW मतलब की अगर हम स्टॉक को buy करते हे तो हमारा Stoploss कल की स्टॉक प्राइस ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? का LOW होगा और अगर हम share को sell कर रहेहे तो हमारा Stoploss कल की स्टॉक प्राइस का HIGH होगा.

हमने बहुत बार देखा हे Moving AVERAGE cross over से trend change होता हे , जैसे की अगर स्टॉक का प्राइस मूविंग एवरेज Line से ऊपर की तरफ जाता हे तो फिर UP trend ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? स्टार्ट हो जाता हे या फिर स्टॉक प्राइस मूविंग एवरेज Line से निचे की तरफ जाता हे तो Down TREND सुरु हो जाता हे. ये इसलिए भी होता हे क्योकि बहुत सारे लोग मूविंग एवरेज क्रॉस ओवर को स्टॉपलॉस के लिए USE करते हे .

एक EXAMPLE से देखते हे की किस तरह आप Moving Average क्रॉस ओवर को Stoploss की तरह Use कर सकते हो.

जैसे की मेने hdfc बैंक को BuY किया हुवा हे , अभी अगर hdfc बैंक का Stock Price निचे की तरफ २० डे Moving Average को काटके उसके निचे trade करेगा तो में ये share sell कर दुगा. ( मतलब की स्टॉक प्राइस २० डे ट्रेलिंग स्टॉप क्या है? मूविंग एवरेज लाइन को निचे की तरफ क्रॉस ओवर करेगा) तो मेरा स्टॉपलॉस यहाँ पे २० डे मूविंग एवरेज क्रॉस ओवर होगा.

4) STOP LOSS in stock market with Support and Resistance:-

Support का मतलब की स्टॉक प्राइस particular प्राइस पे support ले के फिर ऊपर की तरफ जाता हे.

और Resistance का मतलब की स्टॉक प्राइस particular प्राइस पे अटक जाता हे फिर निचे की तरफ आता हे.

अगर में कोई शेयर BuY करता हु और support प्राइस को मेरा Stoploss रखता हु और अगर स्टॉक का प्राइस support प्राइस के निचे trade करने लगता हे तो में वो SHARES बेच देता हु. मतलब की सपोर्ट मेरा स्टॉपलॉस हे.

वैसे ही अगर कोई शेयर्स में sell करता हु और वो शेयर्स price मेरे resistance के ऊपर जाके trade करते हे तो में वो शेयर खरीद लेता हु क्योकि मेरा Stop LOSS resistance Price हे.

निचे वाला चार्ट का एक्साम्प्ले देखिये.

Trailing Stop Loss क्या है?

Trailing stop loss को मैं आपको एक उदाहरण से बताता हूं तो आपको अच्छी तरह समज में आएगा, तो जैसे मेने रिलायंस के १०० शेयर २५०० रुपये में ख़रीदे, अब मेरा स्टॉप लोस्स हे २३०० का, अब अगर रिलायंस का शेयर २८०० हो जाता हे तो , में अपने स्टॉप लोस्स को आगे लेके जावुगा, मतलब की में स्टॉप लोस्स को ट्रेल करुगा, तो अब मेरा नया स्टॉप लोस्स हे वो २६०० हे। तो अब अगर reliance का प्राइस निचे आएगा तो भी मुझे loss नहीं होगा, क्योकि मेने शेयर को २५०० पे ख़रीदे हे और अब मेरा stop loss प्राइस ऊपर जाने के बाद २६०० हे.

तो ट्रेलिंग स्टॉप लोस्स से हम अपने loss को कम करते हे, और अगर हम अच्छे प्रॉफिट में हे तो हम अपने प्रॉफिट को भी प्रोटेक्ट करते हे.

Options Trading: क्‍या होती है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग? कैसे कमाते हैं इससे मुनाफा और क्‍या हो आपकी रणनीति

By: मनीश कुमार मिश्र | Updated at : 18 Oct 2022 03:40 PM (IST)

ऑप्‍शंस ट्रेडिंग ( Image Source : Getty )

डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) भारतीय बाजार के दैनिक कारोबार में 97% से अधिक का योगदान देता है, जिसमें ऑप्शंस एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है. निवेशकों के बीच बाजार की जागरूकता बढ़ने के साथ, ऑप्शंस ट्रेडिंग (Options Trading) जैसे डेरिवेटिव सेगमेंट (Derivative Segment) में रिटेल भागीदारी में उछाल आया है. इसकी मुख्‍य वजह उच्च संभावित रिटर्न और कम मार्जिन की आवश्यकता है. हालांकि, ऑप्शंस ट्रेडिंग में उच्च जोखिम शामिल है.

क्‍या है ऑप्‍शंस ट्रेडिंग?

Options Trading में निवेशक किसी शेयर की कीमत में संभावित गिरावट या तेजी पर दांव लगाते हैं. आपने कॉल और पुष ऑप्‍शंस सुना ही होगा. जो निवेशक किसी शेयर में तेजी का अनुमान लगाते हैं, वे कॉल ऑप्‍शंस (Call Options) खरीदते हैं और गिरावट का रुख देखने वाले निवेशक पुट ऑप्‍शंस (Put Options) में पैसे लगाते हैं. इसमें एक टर्म और इस्‍तेमाल किया जाता है स्‍ट्राइक रेट (Strike Rate). यह वह भाव होता है जहां आप किसी शेयर या इंडेक्‍स को भविष्‍य में जाता हुआ देखते हैं.

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