- प्रक्षेपण का कोण (Angle of Projection): एक ही वस्तु को जब अलग-अलग कोणों से एक समान प्रारम्भिक वेग (Iniitial Velocity ) द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अलग-अलग दूरी तय करती है।
जैसे: - जब एक वस्तु को 25 ° के कोण से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह कम दूरी तय करती है। परन्तु जब उसी वस्तु को उसी वेग से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अपेक्षाकृत अधिक दूरी तय करती है - प्रक्षेपण की ऊँचाई तथा लैडिंग सतह में संबंध (Relation between Projection Height and Landing Surface):
- प्रक्षेपण की ऊँचाई व लैडिंग सतह समान होने पर वस्तु को 45 ० के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
- लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की उँचाई से अधिक होने पर वस्तु को 45 ° से अधिक के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए जिससे वह वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
- लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की ऊँचाई से कम होने पर वस्तु को 45 ° से कम के कोण प्रक्षेपित करना चाहिए जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी। उपरोक्त स्थितियों में प्रक्षेपण के कोण बदलने से वस्तु अधिक देर तक हवा में रहेंगी जिससे उसे अधिक दूरी तय करने का अच्छा 45 ० से कम कोण अवसर मिलेगा। इसी सिंद्धात को ध्यान में रखते हुए जैवलिन थ्रोअर (Javeline Throwes) जैवलिन को ऊपर की ओर से पकड़ते है ताकि फेंकते हुए जैवलिन अधिक ऊँचाई प्राप्त कर सके।
- यदि प्रक्षेपित वस्तु की सतह खुरदरी होगी तो उस पर लगने वाला प्रतिरोध अधिक होगा, जबकि चिकनी सतह होने पर उस वस्तु पर लगने वाला प्रतिरोध कम होगा।
- प्रक्षेपित वस्तु की गति बढ़ने के अनुरूप उस पर लगने वाला प्रतिरोध भी बढ़ता जाएगा।
- प्रक्षेपित वस्तु पर Mass जितना कम होगा उस पर लगने वाला प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
लाभ और हानि फार्मूला , ट्रिक्स एवं उदाहरण | Profit and Loss Formula, Tricks and Examples
लाभ और हानि फार्मूला , ट्रिक्स एवं उदाहरण
क्रय मूल्य | Cost Price
किसी वस्तु को खरीदने के लिए जितने धनराशी दी जाती है अर्थात जिस मूल्य पर कोई वस्तु ख़रीदे जाते है, उसे उस वस्तु का क्रिय मूल्य कहते है
विक्रय मूल्य | Selling Price
क्रिय मूल्य पर, जब किसी वस्तु को कम या अधिक मूल्य में बेचा जाता है अर्थात जिस मूल्य पर कोई वस्तु बेचीं जाती है, उसे उस वस्तु का विक्रय मूल्य कहा जाता है.
लाभ | Profit
यदि किसी वस्तु का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से अधिक हो, तो उनके अंतर से प्राप्त धनराशि को लाभ कहते हैं।
हानि | Loss
यदि किसी वस्तु का विक्रय मूल्य उसके क्रय मूल्य से कम हो,तो उनके अंतर से प्राप्त धनराशि को हानि कहते हैं।
महत्वपूर्ण सूत्र
लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य
हानि = क्रय मूल्य – विक्रय मूल्य
विक्रय मूल्य = लाभ + क्रय मूल्य
विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य – हानि
क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य – लाभ
क्रय मूल्य = हानि + विक्रय मूल्य
लाभ% = (लाभ × 100)/क्रय मूल्य
हानि% = (हानि × 100)/क्रय मूल्य
विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य (100 + लाभ%/100)
क्रय मूल्य =विक्रय मूल्य ×100/(100 +लाभ%)
क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य×100 / (100-हानि%)
विक्रय मूल्य = क्रय मूल्य ×(100-हानि%)/100
Q 1.यदि आप एक मतदान मकान 50000 में खरीदते हैं और 80000 में बेचते हैं तो आपका प्रतिशत लाभ है
क्रय मूल्य = 50000
विक्रय मूल्य = 80000
लाभ = विक्रय मूल्य – क्रय मूल्य
लाभ% = (लाभ × 100)/क्रय मूल्य
Q 2.किसी वस्तु को 651रू में बेचने पर 7% की हानि होती है तो उस वस्तु का क्रय मूल्य क्या है
100% =651×100/93 = 700
सूत्र क्रय मूल्य = विक्रय मूल्य×100 / (100-हानि%)
Q 3.किसी वस्तु को 1400रू मे खरीदने पर 15% का लाभ होती है तो उस वस्तु का विक्रय मूल्य क्या है
लाभ और हानि (Profit and Loss) के सूत्र और उसके उदाहरण
उदाहरण-1 एक वस्तु 500 में खरीदकर 600 में बेच दी गयी। इस सौदे में कुल लाभ तथा प्रतिशत लाभ ज्ञात कीजिये ?
उदाहरण-2 742 की लागत से तैयार एक वस्तु को बेचा गया। इस प्रकार वस्तु पर कितने % की हानि हुई ?
जब कोई वस्तु दो बार बेची जाय और लाभ अथवा हानि दिया हो तो विक्रय मूल्य ज्ञात करना
Notes:- % लाभ होने पर + चिन्ह और हानि होने पर – चिन्ह लिखा जायेगा |
जब एक ही वस्तु कई बार खरीदी-बेची जाये तो अंतिम मूल्य ज्ञात करना
Notes:- % लाभ होने पर + चिन्ह और हानि होने पर – चिन्ह लिखा जायेगा |
जब कोई वस्तु कम या अधिक में बेची जाय तो क्रय मूल्य ज्ञात करना
Notes:- यदि दोनों बार लाभ हो या दोनों बार हानि अथवा यदि एक बार लाभ हो तथा एक बार हानि हो तो इस सूत्र का प्रयोग करते है |
जब दो वस्तुए समान मूल्य पर बेची जाय तो हानि ज्ञात करना
[A] यदि दो वस्तुएं समान मूल्य पर बेची जाय और एक वस्तु पर X % लाभ तथा दूसरी पर X % की हानि हो तो दोनों वस्तुओं पर कुल मिलाकर (X 2 /100) % की हानि होती है |
[B] यदि दो वस्तुएं भिन्न-भिन्न मूल्य पर खरीदकर समान मूल्य पर बेची जाये और उन पर अलग – अलग प्रतिशत लाभ या हानि हो तो –
Notes:- यहाँ % लाभ होने पर ‘+’ तथा हानि होने पर ‘-’ का प्रयोग करते है |
जब कुछ वस्तुओं का क्रय मूल्य कुछ अन्य वस्तुओं के विक्रय मूल्य के बराबर हो तो लाभ या हानि ज्ञात करना
Notes:- उपयुक्त मान ‘+’ आये तो लाभ और यदि ‘-’ आये तो हानि होगी
जब a रू में b वस्तुए खरीदकर b रू में a वस्तुए बेचीं जाय तो लाभ या हानि ज्ञात करना
Notes:- उपयुक्त मान ‘+’ आये तो लाभ और यदि ‘-’ आये तो हानि होगी
जब a रू में b वस्तुए खरीदकर c रू में d वस्तुए बेचीं जाय तो लाभ या हानि ज्ञात करना
Notes:- उपयुक्त मान ‘+’ आये तो लाभ और यदि ‘-’ आये तो हानि होगी
वस्तु के मूल्य में % वृद्धि या कमी होने पर वस्तु की कुछ मात्रा कम या अधिक मिलना
Notes: -भाव में % कमी होने पर ‘-’ तथा वृद्धि होने पर ‘+’ का प्रयोग होगा
अनुपात पर आधारित सूत्र
[A] यदि विक्रय मूल्य : क्रय मूल्य = x : y तो इसका अर्थ है की वस्तु का विक्रय मूल्य x रु तथा क्रय मूल्य y रु है
[B] यदि लाभ : विक्रय मूल्य =a : b तो इसका अर्थ है कि वस्तु को b रु में बेचने पर a रु का लाभ होता है।
कैसे सकल लाभ की गणना करें
विकीहाउ एक "विकी" है जिसका मतलब होता है कि यहाँ एक आर्टिकल कई सहायक लेखकों द्वारा लिखा गया है। इस आर्टिकल को पूरा करने में और इसकी गुणवत्ता को सुधारने में समय समय पर, 9 लोगों ने और कुछ गुमनाम लोगों ने कार्य किया।
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सकल लाभ (ग्रॉस प्रॉफिट )आपके कंपनी के माल के लागत की तुलना उसे बेच कर प्राप्त हुए आय से करता है I सकल लाभ "सीमा " (ग्रॉस प्रॉफिट मार्जिन ) सकल लाभ और कुल आगम का अनुपात है जिसे प्रतिशत या फीसदी के रूप में व्यक्त किया जाता है I सकल लाभ सीमा एक त्वरित और उपयोगी तरीका है जिससे आप अपनी कंपनी की अर्थपूर्ण तुलना उसके प्रतिस्पर्द्धियों से या आपके उद्योग औसत (इंडस्ट्री एवरेज) से कर सकते है I आप इसका उपयोग आपके कंपनी की चालू वर्ष की स्तिथि की तुलना अतीत के कार्य निष्पादन से करने के लिए भी कर सकते है I विशेषतः तब जब आपके माल के मूल्य में महत्वपूर्ण उतार चढ़ाव पाया जाता है I
- उदाहरण: एक खेल के सामान बेचने वाली दूकान, $40,000 का आय कपडे बेच कर, $25,000 का आय खुली हवा में खेलने वाले वस्तुओ को बेच कर और $35,000 का आय उपकरणों को बेच कर कमाता हैI अब इस दूकान का कुल आगम हुआ $40,000 + $25,000 + $35,000 = “”$1,00,000"”I
- कृपया ध्यान दे: वेतन भुगतान (पेरोल), व्यपार के मुनाफे पर लगा कर, कर्ज पर लगा व्याज इत्यादि खर्च बेचे गए सामान या माल की लागत में सम्मिलित नहीं होते I यह केवल एक उपाय है आपके व्यापार में माल उपार्जित करने और बेचने में आये खर्च की I
- उदाहरण: अगर हमारे खेलके सामान बेचने वाली दूकान ने बिक्री के लिए सामान खरीदने,लाने और भंडारण के लिए $20,000 खर्च किया कपड़ो पर, $7,500 खर्च किया खुली हवा में खेलने वाले वस्तुओ पर और $17,500 खर्च किया उपकरणों पर तो इस दूकान का "बेचे हुए माल की लागत" होगा "$20,000 + $7,500 + $17,500 = $45,000"I
- उदाहरण: खेल के सामान बेचने वाली दूकान के सम्बन्ध में सकल लाभ होगा $1,00,000 - $45,000 = "$55,000"I
सकल लाभ को कुल आगम से विभाजित करे: सकल लाभ "हाशिया" (मार्जिन) (कभ कभी इसे सिर्फ "सकल मार्जिन" भी कहते है) सकल लाभ से भिन्न है I यह सकल लाभ और कुल आगम का अनुपात है I यह आपको बताता है की आप अपना माल बेच कर सच में कितना पैसा कमा रहे हो - मान लो की अगर आपने अपना सामान $20 को बेचा, पर उसे बिक्री केंद्र तक पहुंचाने की कीमत $10 है, तो उस सामान को बेच कर आप वास्तव में सिर्फ $10 कमा रहे हो I
आरएसआई के लिए सूत्र
रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स या आरएसआई सूत्र में दो भाग होते हैं:
आरएसआई लाभ और हानि की गणना का उदाहरण = 100- 100 / (1 + रुपये)
जहाँ रस एवरेज गेन/ एवरेज लॉस है
आरएसआई में निम्नलिखित बुनियादी घटक शामिल हैं: रुपये, औसत लाभ और हानि की गणना का उदाहरण लाभ और औसत हानि। यह आरएसआई गणना 14 अवधियों पर आधारित है। नुकसान को सकारात्मक मूल्यों के रूप में व्यक्त किया जाता है, नकारात्मक मूल्यों के रूप में नहीं।
औसत लाभ और औसत हानि के लिए बहुत पहले गणना 14-अवधि के औसत सरल हैं:
पहले औसत लाभ = पिछले 14 अवधियों / 14 से अधिक लाभ
पहला औसत नुकसान = पिछले 14 अवधियों / 14 से अधिक हानि का योगगणना का लाभ और हानि की गणना का उदाहरण दूसरा भाग पूर्व औसत और चालू लाभ हानि पर आधारित है:
औसत लाभ = [(पिछले औसत लाभ) x 13 + वर्तमान लाभ] / 14
औसत हानि = [(पिछली औसत हानि) x 13 + वर्तमान हानि] / 14उदाहरण के माध्यम से रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स को समझें:
मान लें कि निम्नलिखित डेटा XYZ कंपनी के हैं:माँसपेशीय गति विज्ञान, जीव यान्त्रिकी एवं खेल कूद
- प्रक्षेपण का कोण (Angle of Projection): एक ही वस्तु को जब अलग-अलग कोणों से एक समान प्रारम्भिक वेग (Iniitial Velocity ) द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अलग-अलग दूरी तय करती है।
जैसे: - जब एक वस्तु को 25 ° के कोण से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह कम दूरी तय करती है। परन्तु जब उसी वस्तु को उसी वेग से प्रक्षेपित किया जाता है तो वह अपेक्षाकृत अधिक दूरी तय करती है - प्रक्षेपण की ऊँचाई तथा लैडिंग सतह में संबंध (Relation between Projection Height and Landing Surface):
- प्रक्षेपण की ऊँचाई व लैडिंग सतह समान होने पर वस्तु को 45 ० के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
- लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की उँचाई से अधिक होने पर वस्तु को 45 ° से अधिक के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए जिससे वह वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
- लैडिंग सतह का स्तर प्रक्षेपण की ऊँचाई से कम होने पर वस्तु को 45 ° से कम के कोण प्रक्षेपित करना चाहिए जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी। उपरोक्त स्थितियों में प्रक्षेपण के कोण बदलने से वस्तु अधिक देर तक हवा में रहेंगी जिससे उसे अधिक दूरी तय करने का अच्छा 45 ० से कम कोण अवसर मिलेगा। इसी सिंद्धात को ध्यान में रखते हुए जैवलिन थ्रोअर (Javeline Throwes) जैवलिन को ऊपर की ओर से पकड़ते है ताकि फेंकते हुए जैवलिन अधिक ऊँचाई प्राप्त कर सके।
- यदि प्रक्षेपित वस्तु की सतह खुरदरी होगी तो उस पर लगने वाला प्रतिरोध अधिक होगा, जबकि चिकनी सतह होने पर उस वस्तु पर लगने वाला प्रतिरोध कम होगा।
- प्रक्षेपित वस्तु की गति बढ़ने के अनुरूप उस पर लगने वाला प्रतिरोध भी बढ़ता जाएगा।
- प्रक्षेपित वस्तु पर Mass जितना कम होगा उस पर लगने वाला प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।
गति के तीन नियमों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए। खेलों में इनका क्या महत्व हैं?
गति का पहला नियम : जड़त्व का नियम (Law of Inertia)
गति के प्रथम नियम के अनुसार: एक स्थिर वस्तु तब तक स्थिर अवस्था में व एक गतिशील वस्तु तब तक गतिशील अवस्था में, उसी गति तथा दिशा में रहेगी जब तक उस पर बाहरी शक्ति नहीं लगाई जाती।
वस्तु की अवस्था में बदलाव करने के लिए बाहरी शक्ति का प्रयोग होता है।
उदाहरण: एक गतिशील फुटबाल पहले धीरे होती है और थोड़ी देर में रुक जाती है।
बॉल इसलिए रुकती है क्योंकि बॉल और मैदान के बीच ' घर्षण बल ' कार्य करता है। जो बॉल की गति की स्थिर बना देता है।कुश्ती में विरोधी को उपर उठाना, हैमर थ्रो करना, दौड़ प्रारम्भ करना:
गति का दूसरा नियम: त्वरण का नियम (Law of Acceleration)दूसरे नियम के अनुसार: ''किसी वस्तु के त्वरण में परिवर्तन, इसके द्वारा उत्पन्न शक्ति के प्रत्यक्ष रूप में समानुपातिक तथा इसकी संहति से विपरीत क्रम में समानुपातिक होती है।''
उदाहरण: एक क्रिकेट खिलाड़ी ऊँची कैच पकड़कर उसी गति से अपने हाथों को नीचे की तरफ लाता है ताकि बॉल को रोक सके। एक बेस बॉल खिलाड़ी बॉल को अधिक दूर फेंकने के लिए अधिक बल से बॉल को मारता है।गति का तृतीय नियम: प्रतिक्रिया का नियम (Law of Reaction)
तृतीय नियम के अनुसार: ''यह गति का तीसरा नियम है, इसके अनुसार प्रत्येक क्रिया की हमेशा बराबर तथा विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ''
उदाहरण: एक तैराक आगे बढ़ने के लिए पानी को पीछे फैंकता है, यह एक क्रिया है। पानी तैराक को उसी शक्ति से आगे धकेलता है। यह एक प्रतिक्रिया है जब व्यक्ति पैदल चलता है तो वह अपने पैरों से जमीन पर पीछे की ओर दबाव डालता है, जमीन उसी शक्ति से पैर को आगे धकेलती है। इस तरह यह सिलसिला चलता रहता है।
शूटिंग: शूटिंग में जब पिस्टल से फायर किया जाता है तो गोली आगे की दिशा में चलती है, उसी समय पिस्टल हाथ को पीछे की ओर धक्का मारती है।
- प्रक्षेपण की ऊँचाई व लैडिंग सतह समान होने पर वस्तु को 45 ० के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
- प्रक्षेपण की ऊँचाई व लैडिंग सतह समान होने पर वस्तु को 45 ० के कोण से प्रक्षेपित करना चाहिए। जिससे वस्तु अधिक दूरी तय कर सकेगी।
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