ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगायें? : Option Trading Se Paiso Ka Ped Kaise Lagaye

आप ऑप्शन पर हजारों पुस्तके पढ़ लेवें पर ऐसा ज्ञान किसी पुस्तक में नहीं मिलेगा। सभी पुस्तक लेखक आपको ऑप्शन क्या है व ऑप्शन के ग्रीक आदि का विवरणात्मक ज्ञान देने में लगे हुये हैं। कोई भी पुस्तक आपको ऑप्शन का ऐसा व्यवहारिक ज्ञान नहीं देगी जिस ज्ञान से एक कम पढ़ा लिखा साधारण वेटर भी ऑप्शन ट्रेडिंग से अमीर बन सकता है। पुस्तक भारतीय शेयर बाजार के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले रिसर्च एनालिस्ट महेश कौशिक की ऐसी दुलर्भ कृति है जिसमें ऑप्शन के कखग से लेकर ग्रीक तक का आधुनिकतम ज्ञान एकदम सरल भाषा में दिया गया है।

लेखक महेश चन्द्र कौशिक जटिल विषयो को सरलता से समझाना पसंद करते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर यह पुस्तक भी उपन्यास की तरह कहानी के फार्मेट में लिखी गयी है ताकि आप इसको पढ़ते समय कहीं भी बोरियत महसूस नहीं करें। इसमें घीसू भाई नामक पात्र एक साधारण वेटर है जिसे महेश चन्द्र कौशिक ने ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखायी इस पुस्तक को इसमें उपन्यास या आत्मकथा की तरह लिखा गया है।

Option Trading Se Paiso Ka Ped Kaise Lagaye. Option ऑप्शन ग्रीक क्या हैं trading Hindi ebook by SEBI Registered research analyst Mahesh Chander Kaushik

ऑप्शन ग्रीक्स क्या होते है और ग्रीक्स को कैसे समझे?

What are option Greeks and their use in options trading?

Option Greeks Explained

विकल्प बाजार किसी विशेष विकल्प या पोर्टफोलियो में, विकल्प खरीदने में शामिल जोखिम के विभिन्न आयामों का वर्णन करने के लिए ग्रीक शब्द का उपयोग करता है। इन चारोंको ग्रीक कहा जाता है क्योंकि वे आमतौर पर ग्रीक प्रतीकों से जुड़े होते हैं। प्रत्येक जोखिम चर एक अपूर्ण धारणा या किसी अन्य अंतर्निहित चर के साथ विकल्प (Options) के संबंध का परिणाम है। विकल्प जोखिम का आकलन करने और विकल्प पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने के लिए व्यापारी विभिन्न ग्रीक मूल्यों का उपयोग करते हैं।

ऑप्शन ग्रीक्स – डेल्टा : (Option Greeks-Delta)

डेल्टा विकल्प (Options) की कीमत और अंतर्निहित परिसंपत्ति (underlying asset’s ) की कीमत में ₹ १ परिवर्तन के बीच परिवर्तन की दर का प्रतिनिधित्व करता है। कॉल ऑप्शन (Call Options) के डेल्टा में शून्य और एक के बीच की सीमा हो ती है, जबकि पुट ऑप्शन (Put Options) के डेल्टा में शून्य और नकारात्मक एक के बीच की सीमा होती है। उदाहरण के लिए, मान लें कि एक निवेशक ०.५० के डेल्टा के साथ एक लॉन्ग कॉल ऑप्शन (Long Call Option) है। इसलिए, यदि अंतर्निहित स्टॉक ₹१ से बढ़ता है, तो विकल्प (Options) की कीमत सैद्धांतिक रूप से ₹ ५० तक बढ़ जाएगी।

डेल्टा विकल्प व्यापारियों के लिए डेल्टा-तटस्थ स्थिति बनाने के लिए बचाव अनुपात का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यदि आप ०.४० डेल्टा के साथ एक कॉल विकल्प (Call Options) खरीदते हैं, तो आपको पूरी तरह से बचाव के लिए स्टॉक के ४० शेयर बेचने की जरूरत है। पोर्टफोलियो के हेज (Hedge) अनुपात को प्राप्त करने के लिए विकल्पों के पोर्टफोलियो के लिए नेट डेल्टा का भी उपयोग किया जा सकता है।

एक विकल्प के डेल्टा का एक कम सामान्य उपयोग वर्तमान संभावना है कि यह इन-द-मनी (In The Money) समाप्त हो जाएगा। उदाहरण के लिए, आज ०.४० डेल्टा कॉल ऑप्शन में इन-द-मनी खत्म होने की ४० % संभावना है।

ऑप्शन ग्रीक्स में थीटा क्या होता है ? (What is Theta in Option Greeks? )

थीटा विकल्प मूल्य और समय, या समय संवेदनशीलता के बीच परिवर्तन की दर का प्रतिनिधित्व करता है – जिसे कभी-कभी विकल्प के समय क्षय (Time Decay) के रूप में जाना जाता है। थीटा दर्शित करता है कि एक विकल्प (Options) की कीमत घट जाएगी क्योंकि समाप्ति का समय कम हो जाएगा। उदाहरण के लिए, मान लें कि एक निवेशक -०.५० के थीटा के साथ एक विकल्प लॉन्ग है इसका मतलब विकल्प की कीमत हर दिन ₹ ५० से कम हो जाएगी। यदि तीन व्यापारिक दिन बीत जाते हैं, तो विकल्प का मूल्य सैद्धांतिक रूप से ₹ १.५० से कम हो जाएगा।

जब विकल्प (Options) एट द मनी (At the Money) होता हैं तब थीटा बढ़ जाता है, और जब विकल्प आउट ऑफ़ मनी (Out Of Money) होते हैं तब थीटा कम हो जाता है । समाप्ति के करीब विकल्प भी समय क्षय में तेजी लाते हैं। लॉन्ग कॉल (Long Call) और लॉन्ग पुट (Long Put) में आमतौर पर नेगेटिव थीटा होता है। दूसरी ओर, शॉर्ट कॉल (Short Call) और शॉर्ट पुट (Short Put) में सकारात्मक थीटा होता है।

ऑप्शन ग्रीक्स में गामा क्या होता है ?: ( What is Gamma in Option Greeks? )

गामा एक विकल्प के डेल्टा और अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत के बीच परिवर्तन की दर का प्रतिनिधित्व करता है। इसे द्वितीय-क्रम (Second Derivative)) मूल्य संवेदनशीलता कहा जाता है। गामा दर्शित करता है कि अंतर्निहित सुरक्षा में ₹ १ की चाल के बाद डेल्टा कितना बदल जाएगा। आइए मान लें कि एक निवेशक काल्पनिक स्टॉक XYZ पर लंबे समय तक एक कॉल विकल्प (Call Options) में है। कॉल ऑप्शन में ०.५० का डेल्टा और ०.१० का गामा है। इसलिए, यदि स्टॉक XYZ ₹ १ से बढ़ता या घटता है, तो कॉल ऑप्शन का डेल्टा ०.१० ऑप्शन ग्रीक क्या हैं से बढ़ेगा या घटेगा।

गामा का उपयोग किसी विकल्प के डेल्टा की स्थिरता को निर्धारित करने के लिए किया जाता है। उच्च गामा मूल्यों से संकेत ऑप्शन ग्रीक क्या हैं मिलता है कि अंतर्निहित कीमत में भी छोटे आंदोलनों के जवाब में डेल्टा नाटकीय रूप से बदल सकता है। जब विकल्प एट द मनी (At the Money) होता हैं तब गामा बढ़ जाता है, और कम होता है जब विकल्प आउट ऑफ़ मनी (Out Of Money) होते हैं, और समाप्ति के दृष्टिकोण के रूप में परिमाण में तेजी आती है।

गामा आम तौर पर समाप्ति की तारीख से शॉर्ट छोटे होते हैं। इसका मतलब है कि लंबे समय तक समाप्ति वाले विकल्प डेल्टा परिवर्तनों के प्रति कम संवेदनशील होते हैं। जैसे-जैसे समाप्ति निकट आती है, गामा आमतौर पर बड़े होते हैं, क्योंकि मूल्य परिवर्तन का गामा पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

विकल्प व्यापारी डेल्टा-गामा तटस्थ होने के लिए न केवल डेल्टा बल्कि गामा को भी हेज (Hedge) कzरने का विकल्प चुन सकते हैं, जिसका अर्थ है कि अंतर्निहित मूल्य चाल के रूप में, डेल्टा शून्य के करीब रहेगा।

ऑप्शन ग्रीक्स में वेगा क्या होता है? : ( What is Vega in Option Greeks?)

वेगा (Vega) एक विकल्प के मूल्य और अंतर्निहित परिसंपत्ति की निहित अस्थिरता के बीच परिवर्तन की दर का प्रतिनिधित्व करता है। यह विकल्प की अस्थिरता के प्रति संवेदनल होता है। वेगा उस राशि को दर्शित करता है, जो एक विकल्प (Options) के मूल्य में निहित अस्थिरता में १ % परिवर्तन को देखते हुए बदलता है।

उदाहरण के लिए, ०.१० के वेगा के साथ एक विकल्प दर्शित करता है कि विकल्प का मूल्य ₹ १० से बदलने की उम्मीद है यदि निहित अस्थिरता १% से बदल जाती है।

क्योंकि बढ़ी हुई अस्थिरता का अर्थ है कि अंतर्निहित साधन अत्यधिक मूल्यों का अनुभव करने की अधिक संभावना है, अस्थिरता में वृद्धि से एक विकल्प (Options) के मूल्य में वृद्धि होती है। इसके विपरीत, अस्थिरता में कमी विकल्प के मूल्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। वेगा ऐट-द-मनी विकल्पों के लिए अपने अधिकतम स्तर पर है जिनकी समय सीमा समाप्ति तक अधिक है।

ऑप्शन ग्रीक्स में आर अच् ओ क्या होता है?: ( What is Rho in Option Greeks? )

आरएचओ (Rho)) एक विकल्प के मूल्य और ब्याज दर में १ % परिवर्तन के बीच परिवर्तन की दर का प्रतिनिधित्व करता है। यह ब्याज दर के प्रति संवेदनशीलता को मापता है। उदाहरण के लिए, मान लें कि कॉल ऑप्शन (Call Options) का rho ०.०५ और कीमत ₹ १ .२५ है। यदि ब्याज दरों में १% की वृद्धि होती है, तो कॉल विकल्प का मूल्य बढ़कर ₹ १.३० हो जाएगा। पुट ऑप्शंस (Put Options) के लिए ये विपरीत है। समाप्ति तक लंबे समय वाले एट-द-मनी विकल्पों के लिए Rho सबसे अच्छा होता है।

जरुरी संपर्क (LINKS) इन शेयर मार्किट – NSE & BSE INDIA : IMPORTANT LINKS

सीख-समझ लें ऑप्शंस ट्रेडिंग यहां से

हमने ऑप्शन ट्रेडिंग की इस अध्ययन श्रृंखला में शुरू में जाना कि आईटीएम, एटीएम व ओटीएम ऑप्शन का क्या मतलब है, कॉल व पुट ऑप्शन क्या होते हैं, उन्हें खरीदने और बेचने में लाभ का फॉर्मूला क्या है, ऑप्शन राइटर या बेचने वाला ही ज्यादातर क्यों कमाता है, उसे कितना बड़ा मार्जिन देना पड़ता है, आज के ऑप्शन राइटर और कल के बदला फाइनेंसर में क्या समानता है, आदि-इत्यादि। सब कुछ उदाहरण के साथ समझते गए।

फिर इस मुद्दे पर आए कि ऑप्शन के भाव कैसे निर्धारित होते हैं, उन पर किन-किन चीजों का असर पड़ता है, कैसे देखा जाए कि ऑप्शन के भाव वाजिब हैं या नहीं। इसके लिए हमने ऑप्शन प्राइसिंग के दो प्रचलित मॉडलों को समझने की कोशिश की। पाया कि इसमें सबसे ज्यादा चलता है ब्लैक-शोल्स मॉडल। फिर इसकी बारीकियों में उतरते गए तो पता चला कि इसमें भी तमाम खामियां हैं और इससे जो भाव निकलते हैं, वे बाज़ार में चल रहे भाव से मेल नहीं खाते। इसकी बड़ी वजह है वोलैटिलिटी।

वोलैटिलिटी या चंचलता एक तरह का स्टैंडर्ड डेविएशन है जिसकी गणना स्टॉक या इंडेक्स के भावों में आ रहे हर दिन के अंतर के आधार पर आसानी से एक्सेल शीट पर की जा सकती है। खुद एनएसई भी इसमें दैनिक व सालाना वोलैटिलिटी के आंकड़े देता है। लेकिन ऑप्शन के भाव अतीत के मूल्यों के उतार-चढ़ाव के आधार पर निकाले गए स्टैंडर्ड डेविएशन नहीं, बल्कि मूल्यों की भावी चाल के अनुमान पर आधारित इम्प्लायड वोलैटिलिटी से निर्धारित होते हैं। अब हमारे लिए ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले से ऑप्शन का भाव निकालना नहीं, बल्कि इम्प्लायड वोलैटिलिटी निकालना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया।

वैसे, अगर किसी को ऑप्शंस बेचने हों तो उसके लिए ब्लैक-शोल्स फॉर्मूले का काफी महत्व है क्योंकि उसी के आधार पर वह अलग-अलग स्ट्राइक मूल्य के कॉल व पुट ऑप्शन के दाम बोल सकता है। अब यह खरीदनेवाले पर है कि वह उनमें से किसको खरीदे। लेकिन हम इसकी तह में नहीं गए क्योंकि रिटेल ट्रेडर के पास आमतौर पर इतनी पूंजी नहीं होती कि वह ऑप्शन विक्रेता या ऑप्शन राइटर का बिजनेस कर सके। रिटेल ट्रेडर तो ऑप्शन खरीदने का बिजनेस कर सकता है क्योंकि उसमें प्रीमियम भर देना पड़ता है और मार्जिन वगैरह का कोई चक्कर नहीं होता।

यहां तक के अध्ययन से साफ हो गया कि ऑप्शन के भावों की गणना के लिए हमारे लिए इम्प्लायड वोलैटिलिटी का ज्यादा महत्व है। आज की हकीकत भी यही है कि ऑप्शन ट्रेडर इम्प्लायड वोलैटिलिटी के आधार पर ही ट्रेडिंग की अपनी रणनीति बनाते हैं। हमने यह भी समझने की कोशिश की कि निफ्टी के रोजाना के ऑप्शन ग्रीक क्या हैं औसत रिटर्न और वोलैटिलिटी के आंकडों के आधार कैसे गणना की जा सकती है कि एक्सपायरी के वक्त उसका अधिकतम और न्यूनतम स्तर क्या हो सकता है। फिर जाना कि नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन का नियम कैसे इन स्तरों के वास्तव में सही होने की कितनी प्रायिकता बताता है। यह थोड़ा कठिन मामला था। इसलिए इसे बाद में हम कभी गहराई से समझेंगे।

ऑप्शंस के भावों का सूत्र तलाशते-तलाशते हम इम्प्लायड वोलैटिलिटी तक पहुंच गए तो वहां से आगे बढ़ने पर ऑप्शंस ग्रीक्स से जा टकराए। ग्रीक प्रतीक ये बताते हैं कि किन बदलावों का क्या असर ऑप्शन के भावों पर पड़ सकता है। डेल्टा (Δ) यह दर्शाता है कि स्टॉक का मूल्य बदलने पर ऑप्शन का मूल्य कैसे बदलता है। थीटा (Θ) किसी ऑप्शन के भाव में समय के साथ होनेवाले बदलाव या उसकी समय संवेदनशीलता को दिखाता है। इसे ऑप्शन का समय क्षरण या time decay भी कहते हैं।

गामा (Γ) किसी ऑप्शन के डेल्टा और उसके स्टॉक के भाव के हो रहे बदलाव की दर को दर्शाता है। वेगा (v) किसी ऑप्शन के भाव और स्टॉक की इम्प्लायड वोलैटिलिटी के बीच बदलाव के रिश्ते को दिखाता है। यह वोलैटिलिटी के प्रति ऑप्शन की संवेदनशीलता का प्रदर्शित करता है। रौ (p) यह दिखाता है कि ब्याज दर में 1% बदलाव आने पर ऑप्शन का भाव कितना बदल सकता है। यह ब्याज दरों के प्रति ऑप्शन के भावों की संवेदनशीलता को दर्शाता है। इन सभी प्रतीकों की गणना ब्लैक-शोल्स मॉडल के आधार पर की जाती है। लेकिन यह ऑप्शन ट्रेडिंग का आगे काम आनेवाला काफी परिष्कृत तरीका है।

पढ़ने व सीखने के अगले दौर में हमने ऑप्शन ट्रेडिंग में अपनाई जानेवाली कुछ प्रमुख रणनीतियां की चर्चा की। ये थीं – कवर्ड कॉल, प्रोटेक्टिव पुट, बुल स्प्रेड, बियर स्प्रेड, बटरफ्लाई स्प्रेड, स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल। बाद में हमने पाया कि इनमें से बटरफ्लाई स्प्रेड, स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल में रिस्क को सबसे ज्यादा संभाल कर चला जाता है। फिर हमने इन तीन रणनीतियों को बाज़ार में निफ्टी ऑप्शंस पर लागू करने देखा। और, फिर कमाल हो गया क्योंकि तीनों की तीनों ही रणनीतियां जबरदस्त तरीके से कामयाब हो गईं। इनका एक और प्रयोग हमने कल किया है।

आपसे अनुरोध है कि 15 अप्रैल के बाद इस कॉलम में शुरू की गई लेखों की श्रृंखला को नए सिरे से पढ़ लें। हिंदी भाषा में ऐसी अध्ययन सामग्री आपको कहीं भी नहीं मिलेगी। साथ ही आप अगर साथ में जॉन सी. हल की किताब – Options, Futures, and Other Derivatives की पीडीएफ फाइल इंटरनेट से मुफ्त में डाउनलोड कर पढ़ते रहे तो जल्दी ही आप ऑप्शंस ट्रेडिंग के मास्टर बन सकते हैं।

कल और परसों हम ऑप्शन ट्रेडिंग के दो अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे। उसके बाद शुक्रवार को ऑप्शंस ट्रेडिंग की तीन रणनीतियों में इस बार किए गए सौदों की समीक्षा करेंगे कि वह कितनी कामयाब हुई हैं। फिर सोमवार से ट्रेडिंग बुद्ध की प्रीमियम सेवा अपने मूल स्वरूप में फिर से शुरू हो जाएगी।

कॉल ऑप्शन- अर्थ, प्रकार और प्राइस इन्फ्लुएंसर्स

Long Call Option Trading

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ऑप्शन ट्रेडिंग से पैसों का पेड़ कैसे लगायें?: Option Trading Se Paiso Ka Ped Kaise Lagaye

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लेखक महेश चन्द्र कौशिक जटिल विषयो को सरलता से समझाना पसंद करते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर यह पुस्तक भी उपन्यास की तरह कहानी के फार्मेट में लिखी गयी है ताकि आप इसको पढ़ते समय कहीं भी बोरियत महसूस नहीं करें। इसमें घीसू भाई नामक पात्र एक साधारण वेटर है जिसे महेश चन्द्र कौशिक ने ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखायी इस पुस्तक को इसमें उपन्यास या आत्मकथा की तरह लिखा गया है।

Option Trading Se Paiso Ka Ped Kaise Lagaye. Option trading Hindi ebook by SEBI Registered research analyst Mahesh Chander Kaushik

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